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बिलासपुर : स्कूलों से भावनात्मक रूप से जुड़कर शिक्षक दे सकते हैं बेहतर परिणाम : संभागायुक्त | newsforum

बिलासपुर | संभागायुक्त डा. अलंग एवं कलेक्टर डा. सारांश मित्तर ने बुधवार को मंगला स्थित शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल, लिंगियाडीह में प्रस्तावित इंग्लिश मीडियम स्कूल एवं व्यापार विहार स्थित प्लैनेटोरियम का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान डा. अलंग ने शिक्षकों से कहा कि समावेशी शिक्षा पर जोर दें। उन्होंने कहा कि स्कूलों से भावनात्मक रूप से जुड़ने पर ही आप बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाएंगे।

 

संभागायुक्त सबसे पहले मंगला के स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल का निरीक्षण किया। उन्होंने स्कूल के सभी कक्षों, प्रयोगशाला एवं खेल मैदान को देखा। शिक्षिकों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की। डा. अलंग ने शिक्षिकों से कहा कि स्कूल से भावनात्मक रूप से जुड़कर ही आप बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकते हैं। स्कूल में अपनी भावनाएं निवेश करें, ताकि बेहतर परिणाम सामने आएं।

बच्चों की मानसिकता को समझकर अध्यापन का कार्य करें एवं गुणवत्ता विकास में अपनी शत्प्रतिशत क्षमता लगाएं। उन्होंने विज्ञान के शिक्षिकों से प्रयोगशाला में उपलब्ध सामग्री के विषय में पूछा। शिक्षिकों की पर्याप्त व्यवस्था के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि अधोसंरचना का रख-रखाव एवं स्कूल को बेहतर तरीके से चलाना आप सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने समावेशी शिक्षा पर जोर देने कहा। लायबे्ररी को बेहतर तरीके से विकसित करने के निर्देश दिए, ताकि यह बच्चों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सके।

 

संभागायुक्त एवं कलेक्टर ने लिंगियाडीह शासकीय हाईस्कूल का भी निरीक्षण किया, जहां स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल प्रस्तावित है। उन्होंने यहां टीचर्स की व्यवस्था, उपलब्ध कक्षों की संख्या, बच्चों की संख्या, खेल के लिए मैदान आदि की जानकारी ली। भवन निर्माण के लिए प्राक्कलन शीघ्र बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। स्कूल में व्हील चेयर एक्सेस किया जा सके, इसका ध्यान प्राक्कलन में रखने कहा।

प्लेनेटोरियम का किया निरीक्षण

 

व्यापार विहार में निर्माणाधीन 200 सीटर प्लेनेटोरियम का भी संभागायुक्त एवं कलेक्टर ने जायजा लिया। संभागायुक्त ने इस भवन में व्हील चेयर की एक्सेसिब्लिटी शामिल करने कहा। जिससे दिव्यांग लोगों को यहां दिक्कत न हो। उन्होंने प्लेनेटोरियम का निर्माण गुणवत्ता के साथ करने के निर्देश दिये। प्लेनेटोरियम के बाहर बनाए जा रहे गार्डन एवं तालाब का भी अवलोकन किया। उल्लेखनीय है कि प्लेनेटोरियम में दो लेक्चर हाल, आफिस रूम एवं कैफेटेरिया बनाया जा रहा है। साथ ही बाहर गार्डन में अर्बन फारेस्ट भी निर्मित किया जाएगा।

 

निरीक्षण के दौरान अतिरिक्त कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैरिश एस., नगर निगम के कमिश्नर प्रभाकर पाण्डेय, उपायुक्त अर्चना मिश्रा, एसडीएम देवेन्द्र पटेल, जिला शिक्षा अधिकारी अशोक भार्गव सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।

 

संभागायुक्त डा. संजय अलंग एवं कलेक्टर डा. सरांश मित्तर ने बुधवार को बिल्हा विकासखण्ड के ग्राम सेलर के गौठान में कार्यरत विभिन्न महिला स्व सहायता समूहों के सदस्यों से चर्चा कर व्यवसायिक गतिविधियों की जानकारी ली। उन्होंने समूह की महिलाओं से गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, विक्रय, पैकिंग, लाभ आदि के बारे में जानकारी ली। संभागायुक्त ने सेलर गौठान में संचालित गतिविधियों एवं जिले में वर्मी कम्पोस्ट खाद के उत्पादन के लिए उपयोग में लाई जा रही अभिनव तकनीक की सराहना की।

 

सेलर गौठान में 11 महिला स्वसहायता समूहों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया है। संभागायुक्त ने 35 एकड़ क्षेत्र में फैले इस गौठान में संचालित सभी गतिविधियों का निरीक्षण किया। शिव शक्ति स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा दोना पत्तल निर्माण का कार्य किया जा रहा है। संभागायुक्त ने उनसे प्रशिक्षण एवं अब तक अर्जित लाभ की जानकारी ली।

 

ग्वालपाल महिला स्वसहायता समूह द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट खाद का अवलोकन किया। समूह की महिलाओं ने डा. अलंग को बताया कि उनके द्वारा 27 क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन किया गया है, जिसमें से 17 क्विंटल खाद की बिक्री हो चुकी है। कृषि विभाग के उप संचालक ने संभागायुक्त को जानकारी दी कि सेलर में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए अभिनव तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

 

कम मूल्य लागत वर्मी कम्पोस्ट

कम मूल्य की लागत से वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जा रहा है। इस तकनीक के अंतर्गत वर्मी टैंक का पक्का स्ट्रक्चर न बनाकर जमीन की सतह पर एक से डेढ़ फीट की उंचाई पर पालीथीन बिछाकर वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाया जाता है। इसमें बीच का भाग उपर होता है एवं किनारों में ढाल होती, जिससे अतिरिक्त पानी निकल जाता है।

 

डी-कम्पोजर का उपयोग

 

वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए डी-कम्पोजर का उपयोग किया जा रहा है। जिससें कम समय में ही खाद बनकर तैयार हो जाता है और यह खाद की उपलब्धता को बढ़ाता है। वर्मी टांके में कुछ मात्रा में डी-कम्पोजर मिलाने से यह जल्द ही गोबर एवं अन्य सामग्री को डी-कम्पोज करता है, जिससे खाद जल्द तैयार हो जाता है।

 

प्रोम खाद का उपयोग

 

जिले में प्रोम खाद का उपयोग किया जा रहा है। इस तकनीक में खाद में राक फास्फेट मिलाया जाता है। जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता बढ़ती है एवं यह जैविक होता है। रासायनिक खाद की अपेक्षा आधी मात्रा ही जैविक खाद की लगती है।

 

संभागायुक्त ने जागृति समूह द्वारा किए जा रहे मशरूम उत्पादन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अब तक मेरे द्वारा निरीक्षण किए गए सभी जिलों से बेहतर यहां मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। समूह की महिलाओं ने बताया कि 15 किलो मशरूम की बिक्री की जा चुकी है। संभागायुक्त ने 500 रूपए में 500 ग्राम मशरूम समूहों से क्रय किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्व सहायता समूहों द्वारा किए जा रहे मछली पालन, मुर्गी पालन, गोबर गैस प्लांट, बकरी पालन एवं बाड़ी विकास कार्यों का भी निरीक्षण किया।

©बिलासपुर से शैलेन्द्र बंजारे की रपट


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