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बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग भारत में 16 साल प्रवास के बाद वापस चीन जा रहे हैं तो वे जार जार रोये थे, Bouddh भूमि भारत के प्रति कितना प्रेम व श्रद्धा थी…. क्या वह दौर फिर लौट रहा है..

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

Buddhist monk Hiuen Tsang wept profusely when he was going back to China after sixteen years of stay in India. There was so much love and reverence for India, the land of Buddha…. Is that era returning again?

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन: सोलह साल की भारत यात्रा के बाद जब ह्वानसांग नालंदा विश्वविद्यालय छोड़ रहे थे तो वहां के विद्यार्थियों व आचार्यों को मालूम हुआ कि ह्वानसांग चीन जाने की तैयारी में है. सभी उदास हो गये.फिर इकट्ठे होकर उनसे आग्रह करने लगे-(Bouddh)

 

“अब आप हम लोगों से जुदा ना होएं. भारत बुद्ध की पावन भूमि है. चीन इतनी पावन नहीं हो सकती. इसलिए हर दृष्टि से आपको यही रहना चाहिए.(Bouddh)

 

ह्वानसांग अब भारतीय साहित्य के विद्वान थे, उसी शैली में उन्होंने उत्तर दिया-

 

“भगवान बुद्ध का धम्म सम्पूर्ण विश्व के लिए है, भला चीन को इस अनमोल रत्न से कैसे वंचित रखा जा सकता है. मै बहुत दुख और खुशी के साथ विदा हो रहा हूं. चीन में भी भगवान की वाणी फैले, इसके लिए मुझे जाना होगा.”(Bouddh)

 

चिंता का यह समाचार जब नालंदा विश्वविद्यालय के प्रधान आचार्य शीलभद्र ने सुना तो उन्होंने ह्वानसांग को बुलाकर कहा, आपने चीन लौटने का फैसला क्यों किया ?

 

साहसी और विद्वान भिक्षु ह्वानसांग ने विनम्रता से कहा-

 

“यह देश बुद्ध की जन्म भूमि है. इसके प्रति मेरा गहरा स्नेह व अथाह श्रद्धा है. मेरा यहां आने का सिर्फ एक मकसद था, अपने देशवासियों की भलाई के लिए उस महान बुद्ध धम्म की पूरी जानकारी हासिल करना. जहां-जहां गौतम के चरण पड़े, देशना दी, उन्हें मैं अपनी आंखों से देखूं, वंदन व नमन करूं.”(Bouddh)

 

“अब मैं चाहता हूं कि वापस चीन जाकर जो कुछ मैंने यहां देखा, सुना व पढ़ा है उन ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद करूं और मेरे देशवासियों को समझाऊं. ताकि पूरा देश बुद्ध, उनके धम्म और भारत भूमि के प्रति मेरे ही जितने कृतज्ञ हो सकें.”(Bouddh)

 

सम्राट हर्षवर्धन को यह खबर मिली तो बहुत चिंतित हुए. उन्होंने ह्वानसांग को कुछ समय के लिए दुबारा अपने राजमहल में विशिष्ट अतिथि के रूप में रखा. और बाद में अभूतपूर्व विदाई देकर सीमा तक विशेष सुरक्षा दल साथ भेजा.(Bouddh)

 

भवतु सब्बं मंगलं…सबका कल्याण हो…सभी प्राणी सुखी हो.

 

Bouddh

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