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आतंकी को शहीद कहना पाप है l ऑनलाइन बुलेटिन

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली

–लेखक इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

 

बरेली के कांग्रेसी नेता और इत्तिहादे मिल्लत काउंसिल के चीफ, इस्लामी धर्मगुरु मौलाना हैं मियां तौकीर रजा खान। वे प्रियंका वाड्रा के चुनाव अभियान के अग्रणी हैं। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कांग्रेस पार्टी में भर्ती किया है। आज मौलाना ने बयान दिया कि बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गये आतंकियों को शहीद माना जाये। साथ में एक और समाचार है दैनिक विश्ववार्ता में (21 जनवरी 2022, प्रथम पृष्ठ— कालम— पांच) कि इन मौलाना की पतोहू निदा खान अपने ससुर के खिलाफ यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।

 

निदा ने ससुर मौलाना तौकीर पर गंभीर आरोप भी लगाये। उन्होंने कहा कि ”जो आदमी अपने घर के मामले नहीं सुलझा सका, वो भला समाज के लिये क्या करेगा? जब मैं उनके घर गयी तो मेरे साथ नाइंसाफी हुयी। मेरे साथ न्याय क्यों नहीं किया गया ?” निदा ने कहा कि आज मौलाना तौकीर भी प्रियंका गांधी के साथ ”लड़की हूं, लड़ सकती हूं” का नारा लगा रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो अपने घर में लड़कियों का उत्पीड़न करते हैं। मौलाना तौकीर खान ने मांग की है कि दिल्ली के बाटला हाउस पुलिस मुठभेड़ में मारे गये इस्लामी आतंकियों को शहीद का दर्जा दिया जाये। याद रहे कि इस मुठभेड़ की खबर सुनकर सोनिया गांधी के आंसू बहे थे।

 

हालांकि दिल्ली के अतिरिक्त न्यायाधीश संजीव यादव ने सरकारी वकील मियां एटी अंसारी की अदालत से मांग पर हत्यारे मोहम्मद आरिज खान को (15 मार्च 2021) फांसी की सजा सुनायी थी। इस आजमगढ़ी आतंकी आरिज खान का कत्लवाला अपराध कानूनन सिद्ध हो गया था। क्या था बाटला हाउस मुठभेड़ ? इस सुन्नी हत्यारे आरिज ने दिल्ली पुलिस इंस्पेक्टर (अलमोड़ा में जन्मे) मोहनचन्द्र शर्मा की निर्मम हत्या की थी। गोलियों से भून दिया था। असली दोषियों को जन—अदालत के कटघरे में खड़ा करना होगा। इनमें शामिल हैं तमाम राजनेता (राजनेत्री भी), इस्लामी तंजीमें, मानवाधिकार के कथित डुग्गी पीटनवालें, गंगाजमुनी ढकोसलेबाज, मुसलमान वोट बैंक के ठेकेदार तथा अन्य लोग जो शहीद इंस्पेक्टर शर्मा की विधवा माया शर्मा को मुआवजा देने की आलोचना करते रहें।

इंस्पेक्टर शर्मा की पत्नी माया तथा बेटे दिव्यांशु ने मुआवजे की राशि ठुकरा दी थी। वे आहत थीं क्योंकि आतंकी आरिज के ये हमदर्द लोग दिल्ली पुलिस को फर्जी मुठभेड़ का दोषी कह रहे थे। अर्थात ये सियासतदां लाश पर तमाशा कर रहे थे। आज तकाजा है वक्त का कि इस शहीद शर्मा कुटुम्ब को अपार क्षति की पूर्ति (भरपायी संभव न हो) अवश्य की जाये।

 

मुठभेड़ के वक्त कांग्रेस—शासित दिल्ली की कर्णधार (महिला मुख्यमंत्री —स्व. शीला दीक्षित), प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह, सत्तासीन पार्टी की मालकिन सोनिया गांधी, तत्कालीन सरकार के असली मालिक सांसद राहुल गांधी आदि थे। ये सब बाटला हाउस मुठभेड़ को जाली करार देकर धर्म—मजहब के नाम पर एक मानवीय त्रासदी की वोट हेतु तिजारत कर रहे थे।

 

याद कर लें फिर इस हृदय विदारक घटना को। आजमगढ़, जो इन हत्यारों की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है, वहां से एक पूरी लम्बी रेलगाड़ी में, भारी भरकम भाड़ा सरकार को भुगतान कर, हजारों लोगों को बटोरकर दिल्ली ले जाया गया था। आजमगढ़ उलेमा काउंसिल वाले ने 29 जनवरी 2009 के दिन जंतर—मंतर प्रदर्शन स्थल पर सभा की थी। एक घिनौना माहौल बनाया था, मजहब के नाम पर।

 

इसी आरिज खान, जिस पर 15 लाख रुपये का ईनाम था, ने लखनऊ अदालत, अयोध्या तथा वाराणसी में धमाके किये थे। वह बम बनाने में माहिर है। आरिज खान उर्फ जुनैद दसवीं तक आजमगढ़ में पढ़ाई करने के बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने गया। लेकिन फेल हो गया। आरिज के साथ दूसरे आतंकी आतिफ अमीन, असादुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, मिर्जा शादाब बेग, मोहम्मद हाकिम और अजहर भी थे, वे भी फेल हो गए। यहीं पर पहली बार आरिज खान और इंडियन मुजाहीद्दीन के सरगना आतिफ अमीन की मुलाकात हुई थी। इसके बाद आरिज खान ने 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए तैयारी की, लेकिन दाखिला लेने में विफल रहा। फिर वह दिल्ली के लाजपत नगर में आकर मामा के पास रहने लगा और फिर मुज्जफरनगर में बीटेक में दाखिला लिया। सारी शिक्षा का लाभ विध्वंसक कार्यवाही में किया।

 

 

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