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RNA किट की क्रय प्रक्रिया को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अन्य राज्यों की दरों से तुलना की दी सलाह | newsforum

रायपुर |  राज्य स्तरीय कोविड़ क्रय समिति में गड़बड़ी और अनियमितता के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताज़ा मामला एक कंपनी विशेष की RNA एक्ट्रक्शन किट की खरीदी की निविदा का है। राज्यस्तरीय कोविड़ क्रय समिति ने दो प्रकार की मशीनों के लिए RNA किट के क्रय हेतु निविदा बुलाई थी। जिसमें एक थेरमोफिशर कंपनी के लिए कम्पेटिबल किट मांगी गई थी। जबकि जनेटिकस कंपनी की मशीन के लिए कम्पेटिबल किट नहीं मांगी गई थीं।

जेनेटिक्स कंपनी की मशीन हेतु भी कम्पेटिबल किट की उपलब्धता को बताते हुए वादी कंपनी मेसर्स हाई मीडिया कोर्ट चली गई।

 

शीतकालीन अवकाश के पहले डाली गई इस रीट का फैसला दो दिनों पूर्व आया है। उच्च न्यायलय ने वादी कंपनी की रिट तकनीकी आधार और धारा 226 के अंतर्गत निविदा मामलों में हस्तक्षेप की सीमा का जिक्र करते हुए खारिज कर दी है। पर क्रय प्रकिया को लेकर गंभीर खामियों पर स्वास्थ्य विभाग की जमकर खिंचाई की है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिक दर पर खरीदने की मंशा को भांपते हुए अन्य राज्यों की दरों से तुलना की सलाह तक उच्च न्ययालय ने दे दी है। साथ ही मूल निर्माताओं थेरमोफिशर और जेनेटिक्स कंपनी से उनकी ही बनाई किट खरीदने के मामले में सफाई नहीं देने पर भी कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की खिंचाई की है।

 

इन 3 सवालों के अब भी नहीं मिले जवाब

  • निर्माताओं की ओपन एंडेड मशीन में लगने वाली किट के क्रय हेतु क्लोज एंडेड मशीनों के लिए मांगे जाने वाले प्रोपराइटोरी आर्टिकल सर्टिफिकेट निविदा में क्यों मांगी गई ?
  • निविदा में थेरमोफिशर कंपनी की कम्पेटिबल किट मांगने के बाद भी अन्य निर्माताओं की कम्पेटिबल किट की निविदा क्यों रद्द कर दी गई ?
  • जब निर्माताओं के ब्रोशर में ही मशीनों को ओपन एंडेड बताया है तो 10 सदस्यीय क्रय समिति ने प्रोपराइटोरी आर्टिकल।सर्टिफिकेट क्यों मांगा ?

 

ये भी है कमाल की बात

 

रायगढ़ मेडिकल कॉलेज ने इसी निविदा के लिए जमा किए गए सैंपल का परीक्षण किया और अन्य निर्माताओं की किट को जेनेटिक्स की मशीन में उपयोगी पाया था। इस जांच को करने वाले डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।


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