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सेना की डेंटल कोर में पुरुषों के लिए 90 प्रतिशत आरक्षण कैसे? हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान | ऑनलाइन बुलेटिन

चंडीगढ़ | [कोर्ट बुलेटिन] | लिंग भेदभाव के एक गंभीर मामले पर हरियाणा और पंजाब उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। दरअसल, मामला सेना के डेंटल कोर से जुड़ा हुआ है। सेना ने पुरुषों के लिए एडीसी (आर्मी डेंटल कोर) में 90% रिक्तियां आरक्षित की हैं। पंजाब की याचिकाकर्ता डॉ. सतबीर कौर की याचिका पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

 

याचिकाकर्ता डॉ. सतबीर कौर खुद एक डेंटल सर्जन हैं। उन्होंने एडीसी में शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए आवेदन दिया हुआ है। हालांकि पुरुषों के लिए 90% रिक्तियां आरक्षित होने के चलते उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा कि सेना ने कुल 30 रिक्तियों में से 27 सीटें पुरुषों के लिए और केवल 3 महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं।

 

नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट फॉर मास्टर्स इन डेंटल साइंसेज (एनईईटी- एमडीएस) क्लियर करना एडीसी के लिए आवेदन करने की एक योग्यता है। लेकिन याचिकाकर्ता के मुताबिक, जहां 2934 नीट रैंक तक के पुरुषों को एडीसी में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है, तो वहीं केवल 235 रैंक तक की महिलाओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है।

 

याचिकाकर्ता ने कहा कि एडीसी में भर्ती की आयु सीमा 45 वर्ष है और यह पिछले वर्ष तक लिंग-तटस्थ थी। ऐसी भर्ती जहां नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों को शामिल होने की अनुमति देते हैं, वहां पुरुषों के लिए आरक्षण से भर्तियां नहीं की जा सकती हैं।

 

उन्होंने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के मुताबिक वैसे भी अनुमेय नहीं है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों की ओर भी इशारा किया है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने रूढ़िवादी और प्रतिगामी बयानों के आधार पर लिंग-समानता का उल्लंघन करने के लिए रक्षा सेवाओं को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने लड़ाकू सैनिकों को छोड़कर रक्षा सेवाओं में रोजगार के अवसर में समानता का निर्देश दिया था।

 

याचिकाकर्ता ने कहा है कि जहां राजनीतिक कार्यकारिणी और भारत सरकार ने हमेशा लड़ाकू भूमिकाओं के अलावा सेना में लैंगिक समानता का समर्थन किया है, वहीं सैन्य अधिकारी न केवल संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और राजनीतिक कार्यकारी के आधिकारिक बयानों का भी उल्लंघन कर रहे हैं।

 

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी है और निर्देश दिया है कि उसका अनंतिम रूप से इंटरव्यू किया जाना चाहिए और एडीसी भर्ती के परिणाम याचिका के परिणाम के अधीन रहेंगे।

 

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