Dhanteras : धनतेरस का धन से कोई संबंध नहीं – डॉ. दिनेश मिश्र | Andhashraddha Nirmulan Samiti
Dhanteras: Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti
Dhanteras : Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti : रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : छत्तीसगढ़ अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि वास्तव में धनतेरस का उस धन संपत्ति से कोई संबंध नहीं है, जिसके विज्ञापनों से सारा बाजार और पूरा मीडिया पटा हुआ है. आज ही के दिन आयुर्वेदाचार्य और चिकित्सक धन्वंतरि हुए थे, इन्होंने ही वनस्पतियों से औषधियों निकालने की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया था. इसलिए ही इनके एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे हाथ में वनस्पतियों से चिकित्सा या आयुर्वेद की अवधारणा की गई है.(Dhanteras) (Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti)
धनवंतरि का जन्म त्रयोदशी के दिन होने के कारण इसे धन तेरस बोला जाता है. पर बढ़ते हुए वैश्विक बाजारीकरण और भौतिकतावाद की अंध दौड़ ने इसके रूप को गलत ढंग से प्रेषित किया है और कुछ लोगों ने एक कदम आगे बढ़कर इसे तारों, ग्रहों और नक्षत्रों को भी बाजार से जोड़ कर खरीदी-बिक्री के अनुकूल बता दिया. धनवंतरि ने औषधीय वनस्पतियों के ज्ञाता होने के कारण उन्होंने यह बताया कि समस्त वनस्पतियां औषधि के समान हैं, उनके गुणों को जानकर उनका सेवन करना व्यक्ति के शरीर के अंदर निरोगिता लाएगा जो स्वस्थ रहने में सहायक है, इसीलिए अमृत भी कहा जा सकता है. प्रकृति से जो औषधीय गुण अनेक वनस्पतियों को प्राप्त हुए हैं, वह बेमिसाल हैं. (Dhanteras) (Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti)
धनवंतरि को वनस्पतियों पर आधारित आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं. इन्होंने ही वनस्पतियों को ढूंढ-ढूंढ कर अनेक औषधियों की खोज की थी. बताया जाता है, इनके वंश में दिवोदास हुए जिन्होंने ‘शल्य चिकित्सा’ का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया, जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाए गए थे. सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे. उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी. सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) माने जाते हैं, धनवंतरि की स्मृति में ही इस दिन को “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है. (Dhanteras) (Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti)
डॉ. मिश्र ने कहा कि याद रहे उत्तम स्वस्थ्य और निरोगी शरीर ही जीवन की अमूल्य पूंजी और धन का प्रतीक है, इसलिए आज का दिन धनतेरस के रूप में जाना जाता है. ध्यान दें धनतेरस का इस प्रकार भौतिक संपत्ति, धनराशि, बहुमूल्य संपत्तियों, सोने-चांदी, वाहनों से कोई संबंध नहीं है. (Dhanteras) (Chhattisgarh Andhashraddha Nirmulan Samiti)
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