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अखिलेश सिंह यादव जी समाजवाद की परिभाषा बदलिए | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©राजेश कुमार बौद्ध

परिचय-   प्रधान संपादक, प्रबुद्ध वैलफेयर सोसाइटी ऑफ उत्तर प्रदेश.


 

मय बदल रहा है, समाजवाद की परिभाषा बदलिए, लोहिया जी वैश्य जाति के थे, इसलिए उनके संस्कार ब्राह्मणवादी थे। यह न भूलिए कि आप शूद्र वर्ण से आते हैं आजकल समाज का ध्रुवीकरण हो रहा है और शूद्र और अस्पृश्य वर्ग में आने वाली जातियां भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिबाफुले और पेरियार रामासामी नायकर को अपना आदर्श मानने के लिए आगे आ रहीं हैं। जबकि ब्राह्मणवादी शक्तियां भारत के संविधान के स्थान पर मनुवादी व्यवस्था लागू करने के लिए दिन-रात लगी हुई हैं।

 

जबसे भारत का संविधान लागू हुआ है तबसे लेकर आजतक निरंतर संविधान के बिरोध में ब्राह्मणवादी शक्तियां खुलेआम चुनौती दे रहीं हैं। ऐसी परिस्थितियों में सभी पिछड़े वर्गों को राजनैतिक ध्रुवीकरण के लिए एकजुट होकर अपने मताधिकार का प्रयोग तथाकथित सवर्ण जातियों के प्रत्याशियों के विरुद्ध करना होगा, तभी इस देश की सत्ता पिछड़े / दलित वर्गों के हाथ में आ सकती है, अभी भी पिछड़े वर्ग के लोग सवर्ण जातियों के हाथ का खिलौना बनें हुए हैं।

 

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने को पिछड़ी जातियों का रहनुमा बनकर पिछड़ी जातियों का वोट लेकर ब्राह्मणवादी शक्तियों का पिट्ठू बनकर देश के सरकारी सम्पत्तिओं को बेचकर देश को कंगाल बना दिया है। वहीं दूसरी ओर हिन्दू धर्म का बढ़ावा देने के लिए सरकारी धन से बुद्ध विहारों में राम मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है।

 

यदि इस पर भी देश के एस सी / एस टी और पिछड़े वर्ग के लोग सचेत नहीं हुए तो वास्तव में इस देश का संविधान को बदल कर मनुस्मृति का शासन लागू हो जाएगा। जिसके लिए बसपा की प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश सिंह यादव तथा इन वर्गों के नेताओं के साथ ही साथ पढ़े लिखे लोगों को इतिहास कभी ‌माफ नहीं करेगा। अभी समय है अपना अपना अहंकार को त्याग कर इस ब्राह्मणवादी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो जाएं। आने वाले 2022 और 2024 दिनों में इस सरकार का नामो-निशान मिटा दो।

 


नोट :– उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि ‘ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन’ इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.


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