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पत्नी से जबरदस्ती संबंध बनाना रेप है या नहीं? पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, यहां जानें क्या है Marital Rape, क्या कहता है कानून | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | Supreme Court Remarks Over Marital Rape: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार (29 सितंबर) अविवाहित महिलाओं (Unmarried Women) के गर्भपात अधिकार (Abortion Rights) के मामले में सुनवाई करते हुए मैरिटल रेप (Marital Rape) के बारे में भी जिक्र किया. Marital Rape: इस तरह कोर्ट (Court) ने लंबे समय से कानूनी बहस का मुद्दा बने मैरिटल रेप को गर्भपात (Abortion) के मामलों में मान्यता दे दी.

 

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए कहा कि अगर विवाहित महिला का गर्भ उसकी मर्जी के खिलाफ है तो इसे रेप की तरह देखा जाना चाहिए और उसे गर्भपात की अनुमति दी जानी चाहिए.

 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

 

कोर्ट ने कहा है कि अगर पति के जबरन संबंध बनाने से महिला गर्भवती हुई है तो उसे यह अधिकार होना चाहिए कि 24 हफ्ते तक गर्भपात करवा सके. मैरिटल रेप के मुद्दे पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. पति द्वारा पत्नी से जबरन संबंध बनाने को रेप का दर्जा देते हुए उसे दंडनीय अपराध माना जाए या नहीं, इसे लेकर कोर्ट केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है. मामले पर फरवरी, 2023 में सुनवाई होनी है.

 

क्या होता है मैरिटल रेप?

 

पति अगर पत्नी की मर्जी के खिलाफ उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे मैरिटल रेप कहा जाता है. भारत में अब तक मैरिटल रेप अपराध नहीं माना जाता है. फिलहाल मैरिटल रेप को घरेलू हिंसा और यौन शोषण का एक रूप माना जाता है.

 

2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जा सकता है क्योंकि इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर होगी. यह आशंका भी जताई गई थी कि मैरिटल रेप को पतियों को सताने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. कई संगठन मैरिटल रेप को अपराध करार दिए जाने को लेकर मांग कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगले वर्ष फरवरी में सुनवाई करेगा.

 

मैरिटल रेप को लेकर क्या कहता है कानून?

 

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 कहती है कि पत्नी के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाने को मैरिटल रेप नहीं माना जा सकता है. वहीं, धारा 376 के मुताबिक, कुछ परिस्थियों में पत्नी की मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने पर सजा का प्रावधान है. पत्नी की उम्र अगर 15 वर्ष से कम है और पति उससे जबरन संबंध बनाता है तो ऐसे मामले में उसे सजा दिए जाने का प्रावधान है. पत्नी की उम्र अगर 15 वर्ष से ज्यादा है तो जबरन संबंध बनाने पर पति को दो साल कैद या जुर्माने की सजा हो सकती है.

 

गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला

 

अविवाहित महिलाओं के गर्भपात के मामले में गुरुवार सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी रूल्स (MTP) के नियम 3b का विस्तार किया है. इसके मुताबिक, अब अविवाहित महिलाएं भी अब 24 हफ्ते तक का गर्भ गिरा सकेंगी. अब तक यह अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को था. अविवाहित महिलाओं को गर्भपात के अधिकार से वंचित रखने को कोर्ट ने समानता के अधिकार से खिलाफ माना.

 

एमटीपी रूल्स में 2021 में संशोधन हुआ था. जिसके बाद विवाहित महिलाओं को विशेष परिस्थियों में 20 हफ्ते से ज्यादा और 24 हफ्ते से कम के गर्भ का गर्भपात कराने का अधिकार दिया गया. इस संसोधन से पहले 20 हफ्ते तक के गर्भ का गर्भपात कराया जा सकता था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने माना कि अविवाहित महिलाओं को एमटीपी रूल्स के नियम 3b में शामिल न करना गलत है.

 

अविवाहित महिलाओं के गर्भपात अधिकार को लेकर मामला इस साल जुलाई में शीर्ष अदालत पहुंचा था. दरअसल, 23 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. महिला ने बताया कि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए गर्भपात की अनुमति देने से मना कर दिया कि नियमों के तहत सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही यह अधिकार प्राप्त है.

 

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