🔊 Listen to this ©राजेश श्रीवास्तव; राज परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश. नहीं समझ में आता मुझको, क्या कट्टर संवाद लिखूं। या भाईचारे को समझा, मधुर एक आलाप लिखूं।। बहुतेरे को खोकर हमने, आजादी को पाया है। फिर भी मतलब इसका कुछ को, समझ नहीं क्यों आया है।। नहीं समझ में आता अक्सर … Continue reading आजादी के दीवानों तुम…
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