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डॉक्टर की पर्ची के बिना प्रतिबंधित दवा देना कानूनी अपराध | newsforum

रायपुर / दुर्ग | राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिला न्यायालय सभागार में ड्रग इंस्पेक्टर्स एवं मेडिकल स्टोर संचालकों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में न्यायाधीश गरिमा शर्मा, मोहन सिंह कोर्रोम, अंकाक्षा सक्सेना, सचिव राहूल शर्मा, ड्रग इस्पेक्टर ईश्वरी नारायण, संजय देशमुख कल्याणी संस्था, दवा विक्रेता तथा समाज कल्याण विभाग दुर्ग के अधिकारी उपस्थित थे।

उक्त कार्यशाला में जिला एंव सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग राजेश श्रीवास्तव के द्वारा उद्बोघन में कहा गया कि प्रत्येक वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय ड्रग डे का आयोजन किया जाता है। प्रतिबंधित दवा तथा नशे से संबंधित सामग्री के सेवन से शहरों के साथ ग्रामीण इलाकों मे नशे की प्रवृति बढ रही है एवं नशे से परिवार टूट रहे है। नशे की प्रवृति से अपराध लगातार बढ रहे है।

 

नशा उन्मूलन के संबंध में जागरूकता लाये जाने के उद्वेश्य से ही दुर्ग जिले के दो गांवों रसमड़ा एवं सेलूद को वर्तमान में चिंन्हांकित किया गया है तथा दोनों ग्रामों में नशा से पीडित व्यक्ति/परिवार को समझाईस दी जा रही है साथ ही अवैघ शराब बिक्री की शिकायत आई है जिस पर पुलिस प्रशासन के सहयोग से कार्यवाही भी की गई है। राजेश श्रीवास्तव ने उपस्थित दवा व्यवसायियों / मेडिकल संचालकों को बिना किसी डाक्टरी पर्ची के प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री नहीं करने हेतु निर्देशित किया।

 

डाक्टरी पर्ची लेकर आने वालों को क्षमता अनुसार केवल उतनी ही दवा देने की सलाह दी, जितनी पर्ची में संख्या वर्णित हो। प्रतिबंधित दवाओं के बिक्री उपरांत होने वाले कानूनी प्रावधानों से भी संचालकों को अवगत कराया। कार्यशाला में रिर्सास पर्सन के रूप में उपस्थित अपर सत्र न्यायाधीश गरिमा शर्मा ने कहा कि यह माना जाता है कि कानून सबको मालूम है। प्रथम बार हम आपको कानून की जानकारी देते हैं। ड्रग एक्ट नहीं आया था तब भी कार्यवाहियां होती थी, एन.डी.पी.एस एक्ट में इसी की परिभाषा दी गई है। एन.डी.पी.एस एक्ट को 3 भागों में बांटा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि छ.ग. के सभी जिलों में सिर्फ 1 ही एन.डी.पी.एस कोर्ट है।

 

दवाओं में पाई जाने वाली स्नायु निश्चेतक पदार्थां की जानकारी देते हुए कोकीन की उपलब्धता एवं उसकी अधिकता से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला। अधिनियम की धारा-8, 19, 21 के संबंध में भी उन्होंने जानकारी देते हुए मेडिकल स्टोर्स संचालकों को स्वापक औषधि अधिनियम की शर्तों का कडाई से पालन करने पर भी जोर दिया। ड्रग इंस्पेक्टर ईश्वरी नारायण ने बताया कि प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री हेतु लाइसेंस की आवश्यकता होती है।

 

नियम के विरू़द्ध प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री करने पर एन.डी.पी.एस एक्ट के तहत कठोर सजा का प्रावधान है। पर्ची देखकर निश्चित मात्रा में दवाओं की बिक्री करने की सलाह दी। प्रतिबंधित दवाओं के संबंध में रजिस्टर संधारण करने की सलाह दी जिसमें डाक्टर का नाम पेशेंट का नाम, कितनी मात्रा में दी जानी है, का स्पष्ट उल्लेख किया गया। प्रतिबंधित दवाएं शेड्यूल एक्स के तहत अलग स्थान पर संधारित किये जाने तथा उसकी चाबी संस्था के संचालक के पास ही रखे जाने की बात कही जिससे वो गलत लोगों के हाथों से दूर रहें।

 

नशा मुक्ति केन्द्र संचालित करने वाली संस्था कल्याणी की ओर से काउंसलर संजय देशमुख ने बताया कि नशे में गिरफ्त व्यक्तियों के लिये यह संस्था नशे से बाहर लाने हेतु कार्य करती है। जिसके तहत नशा मुक्ति केंद्र 15 बिस्तरों का संचालित है। जिसमें नशे से ग्र्रस्त व्यक्तियों को अनेक प्रक्रियाओं से गुजारते हूए सुधार कार्य किया जाता है। यह प्रक्रिया 1 माह तक चलती है। उसके पश्चात अगले 1 माह तक उस व्यक्ति का आब्जर्वेशन किया जाता है। संस्था एवं परिवारजनों के सहयोग के बाद नशे से ग्रस्त व्यक्ति अपने मूल जीवन में लौट आता है। कार्यशाला में मंच संचालन कु. अकांक्षा सक्सेना न्यायाधीश के द्वारा किया गया।


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