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Suruj Bai Khande: भरथरी लोक कलाकार श्रीमती सुरुज बाई खांडे के नाम पर लोक कला पुरस्कार स्थापित करे सरकार : पाटले

Suruj Bai Khande : Suruj ke Surta :

 

 

Suruj Bai Khande : Suruj ke Surta : बिलासपुर / मस्तूरी | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : भरथरी गायिका सुरुज बाई खांडे जी की पुण्य स्मृति में “सुरुज के सुरता” श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन गुरु घासीदास महाविद्यालय पचपेड़ी मस्तूरी जिला बिलासपुर में किया गया। गुरु घासीदास महाविद्यालय के संचालक श्री जितेंद्र पाटले ने कहा कि सुरुज बाई खांडे जी के भरथरी गाथा एवं भरथरी गायन विधा छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन पूरे देश के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उन्होंने सुरुज बाई खांडे जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनको जो सम्मान मिलना चाहिए था, जिसकी वह अधिकारी थी, वह सम्मान उनको उनके जीते जी नहीं मिल पाया। ये बड़ी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।(Suruj Bai Khande)

 

हम यह भी मांग करते हैं कि लोक कला भरथरी के इस महान हस्ताक्षर सुरुज बाई खांडे के नाम से छत्तीसगढ़ सरकार एक राज्य स्तरीय पुरस्कार स्थापित करने की घोषणा करें। जो प्रति वर्ष एक नवम्बर को इस लोक कला भरथरी को आगे बढाने वाले कलाकार को मिल सके।(Suruj Bai Khande)

Suruj Bai Khande

भरथरी लोग गायन को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए जिस प्रकार वह ताउम्र प्रयत्न करती रही, उन्होंने विभिन्न देशों में जाकर भी इस दुर्लभ कला का प्रदर्शन किया था। उन्होंने आगे मांग प्रस्ताव पर अपनी सहमती व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा यदि श्रीमती सुरुज बाई खांडे जी को पद्म पुरस्कार हेतु नामित किया जाता है तभी उनको योग्यतम सम्मान मिल पाएगा।(Suruj Bai Khande)

 

इसके लिये सरकार से उचित फोरम के माध्यम से पूर जोर मांग की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे ही अनेकों लोक कलाकार गुमनामी की जिंदगी में अपना जीवन बसर करते हुए विलीन हो जाते है। उनको उचित सम्मान नहीं मिल पाता इस पर सरकार का और समाज का ध्यान जाना चाहिए।(Suruj Bai Khande)

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के अनेकों लोक कलाकारों, कवियों और साहित्यकारों ने अपने शोध पत्र वाचन के साथ भरथरी गायन विधा को विभिन्न रूपों में प्रस्तुत भी किया। कार्यक्रम का आयोजन “सुरुज ट्रस्ट” द्वारा किया गया। जिसके मुख्य ट्रस्टी हैं खैरागढ़ संगीत विश्विद्यालय की थियेटर कला की शोध छात्रा कुमारी दीप्ती ओग्रे जो इस कार्यक्रम में मुख्य आयोजक के रूप में उपस्थित रही।(Suruj Bai Khande)

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अन्य ट्रस्टी में कवि एवं साहित्यकार आसकरण जोगी ने पूरी व्यवस्था सम्हालने में अपना योगदान दिया। साथ में मुख्य पहुना के रूप में भरथरी गायिका श्रीमती रेखा जलक्षत्री एवं उनके शिष्य प्रांजल सिंह राजपूत जी के द्वारा भरथरी की प्रस्तुति से पूरी सभा को मन्त्रमुग्ध कर दिया।(Suruj Bai Khande)

 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में नंद किशोर तिवारी जी पूर्व कुल सचिव गुरु घसीदास विश्वविद्यालय ने अपने संस्मरण में श्रीमती सुरुज बाई खांडे जी के जीवन चरित्र और उनकी कला पर लिखी गई एक शोध पत्र के विषय में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में राजा भरथरी की एक अलग अलौकिक कहानी है।(Suruj Bai Khande)

 

विशिष्ट अतिथियों में श्री भरत मस्तुरिया वरिष्ठ साहित्यकार, श्री गोवर्धन मार्शल वरिष्ठ साहित्यकार,समाज सेवी लोक गायक हृदय प्रकाश अनंत जी, प्रदेशाध्यक्ष सतनाम संस्कृति एवं सतनाम संगीत अकादमी कार्यक्रम में उपस्थित थे।(Suruj Bai Khande)

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कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्रों द्वारा पंधी नृत्य की प्रस्तुति ने एक आध्यात्मिक शांति और सुकून से कार्यक्रम में समां बाँध दिया। जिसमें शोध पत्र एवं अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करने वालों में जगतारण डाहरे, डॉ राजेश कुमार मानस, डॉ. गोकुल प्रसाद बंजारे, मीनेश साहू, हर प्रसाद निडर, दुर्गेश शर्मा, डॉक्टर चंद्रशेखर खरे, सुनीता कुर्रे, ओम प्रकाश सोनवानी, डॉ रवि शंकर, मिलन मलरिहा, महेतरू मधुकर आदि प्रमुख थे। मंच का कुशल संचालन श्री राहुलदेव भारद्वाज के द्वारा किया गया।(Suruj Bai Khande)

Suruj Bai Khande  Suruj ke Surta

 

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