🔊 Listen to this ©रामकेश एम यादव परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र. माटी का दीया हूँ, मेरे पास आओ, जला करके मुझको अंधेरा भगाओ। सूरज का वंशज हूँ निर्बल न समझो, जुबां तो नहीं है, अपना ही समझो। घर, आँगन, बाहर कहीं भी जलाओ, जला करके मुझको अंधेरा भगाओ। माटी का दीया हूँ…….. सृजन … Continue reading दीया …
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