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एक क्षण खोने जैसा नहीं, एक पल गंवाने जैसा नहीं.. | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

थागत कहते हैं – “जीवन क्षणभंगुर है, अनित्य है.एक बुलबुले की तरह है, हवा का झोंका है. सभी को एक दिन यहां से जाना है यहां कोई चीज स्थायी नहीं है. नदी की धार है सब बह रहा है. जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है. आज हमारे पास जो धन, सम्पत्ति, पद, प्रतिष्ठा है कल नहीं भी हो सकते है. इस सत्य को जानो. ध्यान द्वारा इस संसार की अनित्यता का अनुभव करो.

 

 “इसलिए मानव कल्याण के मार्ग पर अपने जीवन को दांव पर लगा दो. धम्म के मार्ग चलते हुए मन, वाणी और शरीर से कुशल कर्म शीघ्र करो, जितना जल्दी हो सके करो. अच्छे कर्म में देरी मत करो.

 

“जीवन के हर पल को जी भर के जी लो. जीवन जा रहा है. जो सार्थक जीवन जीता है, सुख बांटते हुए जीता है वह सुख से मरेगा भी. सम्यक जीवन सम्यक मृत्यु को लाता है.

 

 ” मनुष्य में अपार ऊर्जा, बुद्धि व क्षमता है. मानव कल्याण के लिए उसका भरपूर उपयोग कर लो. यदि धन भी है तो उसे भी स्वयं और दूसरों के दुख दूर करने में खर्च कर लो. कंजूसी कर सिर्फ जोड़ोगे तो सड़ जाएगा. बांटोगे तो बढ़ेगा, फैलेगा.

 

“समय, धन, ज्ञान, खुशी बांटने के लिए किसी खास दिन का इंतजार मत करो. हर दिन सुबह का सूरज उगता है और रोशनी फैलाता है. अंधेरे को मत कोसो अपने हिस्से का दीपक जलाते जाओ, अंधेरा मिटकर रहेगा.

 

 “जो लोग रात दिन दूसरे व्यक्ति, जाति, धर्म की सिर्फ़ निंदा,आलोचना व निरर्थक मुद्दों में ही अपनी अमूल्य जीवन ऊर्जा को बर्बाद कर देते हैं. उनका जीवन निरर्थक है. इसलिए प्रेम, करुणा व प्रज्ञा का सार्थक जीवन जीयो, जिसमें द्वेष घृणा के लिए कोई स्थान नहीं हो. दुख बांटोगे तो दुख मिलेगा, सुख बांटोंगे तो सुख मिलेगा.

 

तथागत बार बार कहते हैं, “मनुष्य जन्म दुर्लभ है.जीवन अनमोल है.एक पल खोने जैसा नहीं. एक क्षण गंवाना नहीं. मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दो.”

 

सबका मंगल हो.. सभी प्राणी सुखी हो …

 

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