मेरे लफ़्ज़ों की नई सौगात मगर जले अरमानों में…
🔊 Listen to this ©गायकवाड विलास परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र नकाब उठाकर भी वो, नजरें झुकाए बैठें है, वही शर्माना आपका हमारी सांसें बनकर धड़कती है। चांद बनके कब आओगे तुम हमारे आंगन में, हर लम्हा हमको सदियों जैसा ही लगता है। धड़कने आज कुछ अलग सी चल रही है, वही … Continue reading मेरे लफ़्ज़ों की नई सौगात मगर जले अरमानों में…
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