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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा कल्याण कुंज वृद्धाश्रम में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन : गरीबी के कारण कोई भी व्यक्ति न्याय से वंचित नहीं हो सकता, न्याय सबके लिये | Newsforum

बिलासपुर |     प्राचीन भारत के गुरूकुलों व विद्यालयों में ‘मातृ देवा भव‘ ‘पितृ देवो भव‘ व ‘आचार्य देवो भव‘, इन मन्त्रों का उद्घोष, प्रतिदिन सुना जाता था। परन्तु पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव व तीव्र गति के शहरीकरण की वजह से भारतीय समाज की संरचना में परिवर्तन आ रहे है। संयुक्त परिवार की सुखद व्यवस्था में दरारें पड़ रहीं है। संयुक्त परिवार में बच्चे सहज रूप से ही प्रेम, सहयोग, आज्ञाकारिता, सहिष्णुता, अनुशासन एवं त्याग जैसे आधाराभूत जीवन-मूल्यों को सीख जाते थे व अच्छे नागरिक बनते थे। परन्तु अब ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हो रहा।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के योजनान्तर्गत 29 जुलाई 2021 को अध्यक्ष, जिला न्यायाधीश श्रीमती सुषमा सावंत, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलसापुर के मार्गदर्शन में डॉ. सुमित कुमार सोनी, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर द्वारा कल्याण कुंज वृद्धाश्रम बिलासपुर में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

आयोजित जागरूकता शिविर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव डॉ.सुमित कुमार सोनी द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली (नालसा) के योजनाए के अन्तर्गत नालसा (वरिष्ठ नागरिकों के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2016 की जानकारी प्रदान किया गया।

डॉ0 सोनी के द्वारा बताया गया कि वृद्वजनों के अधिकार के संबंध मे ‘‘करूणा’’ के नाम से विशेष जागरूकता कार्यक्रम किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत वृद्वजनों की समस्या को सुनकर तत्काल निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान किया जाता है।

डॉ0 सोनी के  द्वारा माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण, अधिनियम 2007 के बारे में बताते हुए व्यक्त किया कि, भारत की संस्कृति में बुजुर्गों का सम्मान व उनकी सेवा, स्वभावजन्य है। बुजुर्गों के साथ दुर्व्यहार, भारतीय संस्कृति में अनदेखा रहा है। यह समस्या अधिकतर पाश्चात्य सभ्यता की ही मानी गई है।

उपरोक्त परिवर्तन के कारण, भारत में बुजुर्गों को पहले जैसा सम्मान व यथोचित सेवा प्राप्त नहीं है। बहुत से बुजुर्ग, मूक दर्शक बनकर अपने बच्चों के हाथों दुर्व्यवहार सहन कर रहे है। बुजुर्गों का अनादर, उपेक्षा शारीरिक, मौखिक दुर्व्यवहार, एक सामान्य घटना हो गई है। उधर जीवन-प्रत्याशा के बढ़ने से वरिष्ठ नागरिकों की जन-संख्या भी बढ़ रही है।  वरिष्ठ नागरिकों के हितार्थ, भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 में अनिवार्य प्रावधान है कि:-‘राज्य, अपने आर्थिक सामर्थ्य एवं विकास की परिसीमा के भीतर, वृद्धों के लोक-सहायता के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए, प्रभावी प्रावधान बनाने का उपबंध किया गया है।‘

वर्तमान परिस्थिति में बुजुर्गों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक एवं आर्थिक सहारा न मिलना। इस समस्या के समाधान एवं ऐसी नई चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 41 का पालन करते हुए, यह कानून बनाया। ‘माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007‘, भारतीय गणतन्त्र के 58वें वर्ष में बना, ताकि माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों को यथोचित भरण-पोषण व सुरक्षा प्राप्त हो सके।

इस आयोजित जागरूकता शिविर में सचिव, डॉ0 सुमित कुमार सोनी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर, रंजन प्रधान, प्रबंधक कल्याण कुंज वृद्धाश्रम बिलासपुर, तथा कल्याण कुंज वृद्धाश्रम में निवासरत वरिष्ठ नागरिक महिलाएं एवं पुरूष एवं अन्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

इस जागरूकता शिविर में पाम्पलेट का वितरण किया गया, जिसमें विभिन्न कानूनों की जानकारी संक्षिप्त में प्रकाशित है जिसमें सरल भाषा में कानूनी जानकारी प्राप्त कर सकते है ।

©बिलासपुर से शैलेन्द्र बंजारे की रपट


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