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अध्यक्ष अजय राय BJP में नहीं जाने की कसमें खा रहे हैं, पहली बार उसी पार्टी से बने थे MLA

वाराणसी

चुनावी मौसम में दल-बदल आम बात है लेकिन बात जब किसी पार्टी के बड़े पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्ष के ही दूसरी पार्टी में जाने की होने लगे तो… यूपी की राजनीति में ऐसी ही एक चर्चा से हलचल रही. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के कांग्रेस छोड़ने, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने को लेकर सोशल मीडिया पर खबरें तैरने लगीं. बात बढ़ी तब अजय राय खुद सामने आए. अजय राय ने अपने एक्स हैंडल से वीडियो संदेश जारी कर इस तरह की खबरों को अफवाह बताया.

अजय राय ने कहा कि हम कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और रहेंगे. कांग्रेस ने जो प्यार और सम्मान दिया है, उसका कर्ज हम नहीं उतार सकते. बीजेपी के लोग भ्रम में ना रहें, इस बार काशी में लड़ाई चौकस और चौचक होगी. बीजेपी इससे डरी हुई है और मेरे खिलाफ झूठ प्रचारित किया जा रहा है. अजय राय कांग्रेस में ही रहने और बीजेपी में नहीं जाने की कसमें खा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वह पहली बार उसी बीजेपी से विधायक बने थे?

बीजेपी से तीन बार विधायक रहे हैं अजय राय

अजय राय ने सियासी सफर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद यानि एबीवीपी के बैनर तले छात्र राजनीति से की थी. अजय राय साल 1996 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. अजय ने तब कोलआसला सीट से नौ बार के विधायक लेफ्ट के दिग्गज उदल को मात दी थी. तब से लेकर 2008 के परिसीमन के बाद 2012 चुनाव तक, दल बदलते रहे लेकिन विधायक अजय राय ही रहे.

अजय राय 1996, 2002 और 2007 के यूपी चुनाव में कोलआसला सीट से बीजेपी के टिकट पर विधायकी का चुनाव जीतते रहे. 2009 के चुनाव में अजय राय वाराणसी लोकसभा सीट से टिकट के दावेदार थे लेकिन बीजेपी ने तब इलाहाबाद सीट से सांसद रहे कद्दावर नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को टिकट दे दिया.

नाराज अजय राय ने बीजेपी छोड़ दी और सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी. अजय ने बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था. लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार की जीत के बाद वह फिर से पिंडरा (पहले कोलआसला) से निर्दलीय लड़े और जीते.

अजय राय साल 2012 में भी पिंडरा विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. तब वह कांग्रेस के टिकट पर जीते थे और उसके बाद से हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव वह कांग्रेस के टिकट पर लड़ते आए हैं लेकिन जीत उनसे मानों रूठ गई. साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ अजय को उतारा लेकिन वह दोनों ही बार तीसरे स्थान पर रहे. 2017 और 2022 के यूपी चुनाव में भी वह अपनी सीट नहीं जीत सके.

क्यों होने लगी थी अजय के बीजेपी में जाने की चर्चा

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के पार्टी छोड़ने, बीजेपी में जाने की चर्चा अगर अफवाह है तो भी यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इसके पीछे आधार क्या है? दरअसल, अजय राय बलिया लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. कांग्रेस ने सपा से सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान यह सीट मांगी भी थी लेकिन सपा ने इसे नहीं छोड़ा. बलिया सीट नहीं मिली तो कांग्रेस ने अजय राय को लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से उतार दिया. बलिया सीट को लेकर ही अजय राय कांग्रेस नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे थे.

 


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