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आगामी अमेरिकी सीनेट 2026 चुनाव के लिए राजा कृष्णमूर्ति योजना बना रहे

न्यूयॉर्क
भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति को 50 सर्वाधिक शक्तिशाली लोगों की सूची में रखा गया है। ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि कृष्णमूर्ति 2026 में अमेरिकी सीनेट के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। लेकिन, उन्‍होंने इसे सिरे से नकार दिया है। नई दिल्ली में जन्मे और इलिनोइस में पले-बढ़े डेमोक्रेट को शिकागो मैगजीन की हेवी हिटर्स सूची में 24वां स्थान मिला था, जिसमें इलिनोइस के गवर्नर जेबी प्रित्जकर शीर्ष पर थे। 2016 में कांग्रेस के लिए चुने गए कृष्णमूर्ति अब अपने चौथे कार्यकाल में इलिनोइस के 8वें जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसमें शिकागो के पश्चिम और उत्तर-पश्चिमी उपनगरों के साथ-साथ शहर का 41वां वार्ड भी शामिल है। कृष्णमूर्ति की प्रचार निधि में 1.44 करोड़ अमेरिकी डॉलर हैं। पत्रिका के अनुसार यह राशि इलिनोइस के किसी भी अन्य कांग्रेस प्रतिनिधि से तीन गुना अधिक है और पूरी कांग्रेस में तीसरी सबसे बड़ी राशि है। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों और डेमोक्रेटिक कांग्रेसनल कैंपेन कमेटी को 460,000 डॉलर का दान दिया।

यदि डिक डर्बिन सेवानिवृत्त होते हैं, तो वह 2026 में सीनेट के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। 79 वर्षीय डर्बिन अपने पांचवें सीनेट कार्यकाल में हैं और उन्होंने 2005 से सीनेट डेमोक्रेटिक व्हिप के रूप में कार्य किया है। डर्बिन की सीनेट सीट पर कृष्णमूर्ति के अलावा कई अन्य राजनेताओं की नजरें भी लगी हुई है। राजनीतिक सलाहकार टॉम बोवेन का मानना ​​है कि कृष्णमूर्ति सीनेट की दौड़ की तैयारी के लिए धन जुटा रहे हैं, मगर उन्‍होंने इससे इनकार किया है।

ट्रिब्यून से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि सबसे पहले, मुझे उम्मीद है कि सीनेटर डर्बिन अपनी सीट पर बने रहेंगे। मैंने ऐसा कुछ भी नहीं सुना है कि वह सीट छोड़ रहे हैं। मैं अभी इस पर विचार नहीं कर रहा हूं। अमेरिकी कांग्रेस में 535 वोटिंग सदस्य, 100 सीनेटर और 435 प्रतिनिधि हैं। जबकि, सीनेटर अपने पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, सदन के सदस्य व्यक्तिगत जिलों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

उपराष्ट्रपति कमला हैरिस वर्तमान में अमेरिकी सीनेट की अध्यक्षता करने वाली एकमात्र भारतीय-अमेरिकी हैं, और वह 2024 के चुनावों में राष्ट्रपति जो बिडेन के साथी के रूप में चुनाव लड़ेंगी। 2022 में देश के सबसे ध्रुवीकृत मध्यावधि चुनावों में से एक में कृष्णमूर्ति सहित पांच भारतीय-अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए।


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