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राजस्थान में भी है अजंता, एलोरा का गौरवशाली बौद्ध धरोहर; लेकिन गुमनाम.. अनजान.. उपेक्षित.. दुनिया की नजरों से ओझल | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

राजस्थान के कोटा संभाग के झालावाड़ जिले का क्षेत्र है डग और भवानी मंडी, राजस्थान व म.प्रदेश का बोर्डर इलाका. यहां कोलवी क्षेत्र की प्राचीन बौद्ध गुफाएं, विहार ,स्तूप, चैत्य, बुद्ध प्रतिमाएं दुनिया का अचंभा है.

ये अजंता एलोरा की तरह लगभग चालीस कि.मी. क्षेत्र में पांच अलग अलग पहाड़ियों में फैली हुई है. डॉ इम्पे ने खोजा और अलेक्जेंडर कनिंघम ने यहां आकर मुहर लगाई.

ये धम्म धरोहर लेटेराइट (लौहयुक्त) चट्टानों से 3- 8वीं सदी में बनाई गई. भिक्षुओं द्वारा सिर्फ चिणी हथौड़े से बनाई इतनी कलात्मक और विशाल दोमंजिला गुफाओं, विहारों, स्तूपों, सभा कक्षों को देखकर आश्चर्य होता है.कल्पना से भी परे.

भिक्षु भिक्षुणियों के भिक्षाटन, ध्यान, धम्म शिक्षा, धम्म प्रचार के साथ उनके हाथों के हुनर को देखकर ताज्जुब होता है आखिर उन्होंने ऐसी भव्य बुद्ध प्रतिमाएं, विशाल स्तूप, सभागृह आवास और विहार कैसे बनाए होंगे? और वह भी ईट पत्थरों को जोड़कर नहीं बल्कि विशाल लोह चट्टानों को काटकर, तराशकर.

हर जगह आसपास के क्षेत्र के बीच स्थित पहाड़ी के ऊपर पूरी गोलाई में चारों ओर बने बुद्ध वाणी को जगत में फैलाने के लिए ये केंद्र सक्रिय सदियों तक सक्रिय रहे. उस काल के अवंतिका जनपद के भिक्षु भिक्षुणी संघ के उस महान त्याग, तप और योगदान को वंदन.

 

इन पहाड़ी बौद्ध गुफाओं में कोलवी, हात्यागोड़, विनाएगा, पोलाडूंगर और धम्मानार केन्द्र प्रमुख हैं.

आठवीं सदी के बाद बौद्ध धम्म की प्रतिक्रांति के दौर में ऐसा विकट समय आया कि धम्म वचनों से गुंजायमान रहने वाले ये  विशाल केंद्र सुनसान हो गये. विरोधियों ने तहस नहस कर दिये, अतिक्रमण कर चैत्यों को शिवलिंग में बदल दिये. बुद्ध, धम्म और संघ के इतिहास को ध्वस्त कर दिया.

भगवान बुद्ध की गौरवशाली विरासत को जिन भिक्षु भिक्षुणी संघ ने जीवित रखा, जगत में फैलाया, वह आज भी हमें दर्शन देकर जागृत करती है और हमें धम्म वाणी के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित करती है.

चिंता यह है कि यह विश्व धरोहर सरकार व समाज की ओर से पूरी तरह से उपेक्षित है. अपने धम्म प्रकाश व अस्तित्व को बचाने के लिए यह धरोहर सदियों से संघर्ष कर जूझ रही हैं.

आज ये हमें आह्वावान कर रही हैं कि धम्म के वाहकों अपने इतिहास को याद करो, विरासत को संभालो और धम्म वचनों को फिर से जगत में फैलाओ. सारा विश्व बुद्ध के मानव कल्याण के मार्ग की चल पड़ा है.

इन दिनों हमारा ग्रुप झालावाड़ की कोलवी बौद्ध गुफाओं और सांची महोत्सव की यात्रा पर हैं.अगले तीन दिन इन महान धरोहरों से संबंधित आलेख प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा.

 

 सबका मंगल हो..सभी प्राणी सुखी हो

 

 

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ.एम एल परिहार, जयपुर

परिचय- जयपुर, राजस्थान.

 

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