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राजू गणवीर तुम बहुत याद आओगे – संजीव खुदशाह l Onlinebulletin

Onlinebulletin l राजू गणवीर असल में एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। एक कार्यकर्ता की तरह बेहद सक्रिय। कहीं भी किसी भी कार्यक्रम में खड़े दिखाई पड़ते। किसी कार्यक्रम के लिए चंदा लेने की जिम्मेदारी मिलती तो वह बड़े अधिकार के साथ चंदा का कलेक्शन करते थे।

 

कबीर नगर में अंबेडकर चौक का निर्माण

 

मुझे एक वाकया याद आ रहा है। जब राजू गणवीर से हमारी पहचान नहीं हुई थी। मैं कबीर नगर के आदर्श आवासीय समिति का महासचिव था (आज भी हूं)। हम इस नए बने कबीर नगर में बिजली पानी साफ सफाई के लिए संघर्ष करते थे, लोगों को एकजुट करते थे । 2012 में जब समिति की पहली बैठक हुई तो कभी नगर के एक मुख्य चौक का नामकरण करने का प्रस्ताव रखा गया। मेरे द्वारा समिति के नाम पर ही आदर्श चौक का नाम प्रस्तावित किया गया। जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। इस समय इस नए बने नगर में चौक का नामकरण तेजी से चल रहा था।

 

इसी प्रकार कबीर नगर के एक मुख्य चौक का नामकरण अंबेडकर चौक करने का विचार आया। समिति के अध्यक्ष श्री यादव जी ने सहमति दी और कहा कि ऐसा होना चाहिए लेकिन समिति के लोग इसके लिए तैयार नहीं होंगे। अलग से करना होगा। उन्होंने कहा, इसी बीच कुछ लोगों ने इस चौक का नाम जेपी चौक रख दिया और उसका सौंदर्य करण भी कर दिया।

अंबेडकर चौक के लिए स्थान तलाशने एवं नामकरण करने का दबाव बढ़ने लगा। कुछ अंबेडकरी साथियों से चर्चा हुई। गोल्डी एम जॉर्ज से इस पर बात हुई । कबीर नगर के गेट के पास के चौक को अंबेडकर चौक बनाना तय हुआ। इसी बीच 2016 में सात दिवस का फ्रीडम फेस्टिवल डॉक्टर अंबेडकर के जन्मदिन पर आयोजित किया गया। इसी दौरान राजू गणवीर से मुलाकात हुई एवं निकटता बड़ी। यह जानकर खुशी हुई कि राजू भी कबीर नगर का रहने वाला है। मैंने अपनी योजना अंबेडकर चौक निर्माण के बारे में उसे बताया। हम लोगों ने दिन में जाकर चौक का मुआयना किया। पास के कूलर दुकान से दो गोल प्लेट ली गई । मेरे निवास पर उस प्लेट पर पेंटर द्वारा गुपचुप तरीके से अंबेडकर चौक लिखवाया गया। दिन में चौक का नामकरण करने से विवाद हो सकता है ऐसी संभावना थी। इसीलिए हमने रात 2 बजे चौक पर नाम की पट्टी लगाने का निर्णय लिया। राजू ने रोटरी क्लब आवास के लोगों से संपर्क किया।

हम और गणवीर मेरे निवास से सिढ़ी लेकर रात 2 बजे निकले। रोटरी क्लब आवास के एक बच्चे ने ऊपर चढ़कर दोनों गोल प्लेट को नट बोल्ट से कस दिया। इसी दौरान गश्त लगा रहे पुलिस टीम ने पूछताछ किया। तो हमने बताया कि चौक का नाम लिख रहे हैं। तो वह आगे निकल गया।

यहां पर राजू गणवीर का जज्बा काबिले तारीफ था और लाजवाब था। मुझे विश्वास है कि हम राजू गणवीर के मदद के बिना चौक का नामकरण अंबेडकर चौक नहीं कर पाते। बाद में हर साल 14 अप्रैल एवं 6 दिसंबर को हम अनवरत कार्यक्रम करने लगे। जो आज तक जारी है।

 

इस वर्ष राजू गणवीर को ब्रेन हेमरेज हो गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। वह कोमा में चले गए। उनसे मिलने के लिए हॉस्पिटल गए और आशा थी कि वह जल्द ठीक हो कर आ जाएंगे और फिर से सक्रिय हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

 

राजू तुम सचमुच बहुत याद आओगे 

तुम्हारी कमी हमेशा खलती रहेगी।


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