🔊 Listen to this ©गायकवाड विलास परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र रंजोगमों के लम्हों से यहां कौन डरता है साहब, जिंदगी कैसे कहें उसे,जहां तकलीफें है बेहिसाब। ना बदला वो सूरज ना बदली ये फिजाएं, फिर कौन-सी ख़ुशी में,हम नया साल ये मनाएं। बस इतनी-सी दुवाएं मांगता हूं मैं इस नए साल … Continue reading रंजोगमों के लम्हों से…
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