रंजोगमों के लम्हों से…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र
रंजोगमों के लम्हों से यहां कौन डरता है साहब,
जिंदगी कैसे कहें उसे,जहां तकलीफें है बेहिसाब।
ना बदला वो सूरज ना बदली ये फिजाएं,
फिर कौन-सी ख़ुशी में,हम नया साल ये मनाएं।
बस इतनी-सी दुवाएं मांगता हूं मैं इस नए साल में,
बस हर दिन की रोटी हो यहां सभी के मुकद्दर में।
वो क्या मनायेंगे नया साल,जिनके तकदीर में हर दिन अंधेरा है,
उन्हीं के आंगन में आते-आते,सूरज भी यहां डुबता सितारा है।
हर सुबह का इंतजार करते-करते जिंदगी भी थक गई,
फिर भी निकला नहीं वो सूरज,जो हर जिंदगी को रोशन करें।
नए साल का ये सूरज,आज भी वैसा ही निकला है,
आखिर आज भी हमारे आंगन में सुखों का वही फासला है।
रंजोगमों के लम्हों से यहां कौन डरता है साहब,
जिंदगी कैसे कहें उसे,जहां अश्कों की बारिश है बेहिसाब।
🔥 सोशल मीडिया
फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://www.facebook.com/onlinebulletindotin
व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld
ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.
🔥 अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रसारित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।
ये खबर भी पढ़ें: