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सस्पेंड एडीजी जीपी सिंह को हाईकोर्ट से राहत नहीं: मंगाई केस डायरी, शीतकालीन अवकाश के बाद होगी सुनवाई l ऑनलाइन बुलेटिन

बिलासपुर l ऑनलाइन बुलेटिन l निलंबित ADG व IPS जीपी सिंह की मुश्किलें कम नहीं हो रही है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में EOW की कार्रवाई के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई लंबित है। इसके साथ ही उनकी दो अन्य याचिकाएं भी लंबित है। जिसमें उन्होंने राजद्रोह व भयादोहन के आपराधिक प्रकरण को चुनौती दी है।

 

प्रदेश के चर्चित व निलंबित ADG जीपी सिंह की अंतरिम राहत की मांग वाली जमानत अर्जी पर फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट के जस्टिस पीपी साहू ने इस मामले की केस डायल तलब किया है। अब प्रकरण की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद होगी।

 

इन मामलों में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर जीपी सिंह ने ACB की स्पेशल कोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था। जिसे 2 दिसंबर को खारिज कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अंतरिम अग्रिम जमानत के लिए याचिका पेश की है।

 

अधिवक्ता आशुतोष के माध्यम से प्रस्तुत याचिका में उन्होंने कहा है कि EOW ने उन्हें अब तक 40 बार नोटिस जारी किया है। इसमें उन्हें बार-बार उपस्थित होने के लिए दबाव डाला जा रहा है। नोटिस के जवाब में उन्होंने EOW को बताया है कि उनका वॉट्सऐप नंबर है और वर्चुअल आईडी भी है। जो भी जानकारी या सहयोग चाहिए वे करने के लिए तैयार हैं लेकिन, EOW उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए परेशान कर रहा है।

 

याचिका में उन्होंने कहा है कि जब तक उन्हें अंतरिम सुरक्षा नहीं मिल जाती। तब तक कैसे उपस्थित हो सकते हैं। उनकी याचिका की अंतिम सुनवाई तक अंतरिम राहत मिलने के बाद उन्होंने EOW के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने का भरोसा दिलाया है। साथ ही उनकी हर जांच में मदद करने की भी बात कही है।

 

उन्होंने जमानत प्रकरण की अंतिम सुनवाई तक अंतरिम जमानत देने की मांग की है। मंगलवार को उनके अंतरिम राहत पर बहस होनी थी। इससे पहले ही पता चला कि याचिका पर शासन की ओर से केस डायरी प्रस्तुत नहीं की गई। लिहाजा, कोर्ट ने केस डायरी तलब करते हुए शीतकालीन अवकाश के बाद प्रकरण की सुनवाई करने के निर्देश दिए।

नान घोटाले के आरोपियों के अग्रिम जमानत का दिया हवाला

याचिका में जीपी सिंह ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से यह भी सवाल उठाया है कि प्रदेश के चर्चित नान घोटाले के सभी आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई है तो उन्हें अंतरिम जमानत क्यों नहीं दी जा सकती। उनका केस तो छोटा है।


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