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ईरान और इजरायल का संघर्ष ले सकता है बड़ा रूप, क्या छिड़ेगा तीसरा विश्‍व युद्ध

तेल अवीव
 ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव से एक बड़ा अंदेशा है कि ये संघर्ष तीसरे विश्‍व युद्ध का रूप तो नहीं ले लेगा। ईरान की ओर से इजरायल पर रविवार को 350 से ज्यादा रॉकेट और मिसाइल दागे गए। करीब 60 टन विस्फोटक का इस्तेमाल ईरान ने किया लेकिन इजरायल के डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में कामयाब नहीं हो सका। इजरायल ने अमेरिका जैसे सहयोगियों की मदद से किसी बड़े नुकसान से खुद को बचा लिया। वहीं ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने किसी भी आगे किसी कार्रवाई पर ज्यादा व्यापक प्रतिक्रिया की धमकी दी है।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल का मानना है कि ईरान उसके अस्तित्व की बुनियाद की ईंट चुरा रहा है। दशकों के चल रहे छद्म युद्ध के बाद ईरान नेरणनीति बदली है और सीधा हमला किया है। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) कमांडर हुसैन सलामी ने कहा कि हमने इजराइयल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इजरायल ने इस क्षेत्र में अब तक के सबसे साहसी हमलों को अंजाम दिया है। उसने इराक के परमाणु रिएक्टर पर बमबारी की तो सीरियाई तानाशाह बशर अल असद के परमाणु रिएक्टर पर बनने से पहले ही बम बरसा दिए। दोनों हमलों में पारंपरिक सैन्य संपत्तियों के साथ खुफिया जानकारी शामिल थी। अब सवाल है कि इजरायल अब ईरान के हमलों के बाद क्या करेगा।

इजरायल की सरकार पर बढ़ रहा दबाव

इजरायल में ईरान के हमले के बाद युद्ध कैबिनेट की बैठक हुई है। मोसाद प्रमुख डेविड बार्निया और सेना प्रमुख हर्जी हलेवी भी सक्रिय हैं। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अपने सत्तारूढ़ गठबंधन से ईरान पर जवाबी कार्रवाई के लिए भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। इजरायल के सहयोगी देशों ने ईरान के हमले की निंदा की है लेकिन साथ ही संयम बरतने का आग्रह किया है। इजरायली रक्षा मंत्री ने ईरान की परमाणु सुविधाएं उनकी नजर होने का संकेत दिया है तो पीएम नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ईरानी आक्रामकता का विरोध करने के लिए एकजुट रहने के लिए कहा है।

नेतन्याहू के सामने दो अहम चीजें हैं। ईरान को जवाब देने के लिए समय और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को एकजुट करना। दोनों अलग-अलग लय में आगे बढ़ रहे हैं और ये उनकीराजनीतिक कुशलता की एक बड़ी परीक्षा भी है। इस समय सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या नेतन्याहू मामले को सही ढंग से समझते हैं। वह ईरान के हमला करने की धमकी, घर में दबाव और सहयोगियों के संयम की सलाह के बीच क्षेत्रीय युद्ध शुरू करने से बच सकते हैं। नेतन्याहू को एक चतुर राजनेता माना जाता है। अब उनके सामने राजनीतिक करियर का भी अहम पड़ाव है। वह क्या फैसला लेते हैं, इस पर दुनिया की निगाह रहेगी।


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