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रशियन दुल्हन मिलेगी; लोगों को गुमराह कर रूसी सेना में भर्ती करा रहे एजेंट

मॉस्को.

इन दिनों आम लोगों को बहला-फुसलाकर रूसी सेना में भर्ती कराने का रैकेट खूब फलफूल रहा है। कई एजेंट सक्रिय हैं जो युवाओं को बेहतर नौकरी और शानदार जिंदगी का सपना दिखा कर उन्हें रूसी सेना में भर्ती करा देते हैं, जहां इन आम लोगों की जान पर बन आती है। हाल ही में हरियाणा के रहने वाले दो भाइयों को रूसी सेना में भर्ती कराने के लिए धोखेबाज एजेंटों कई प्रपंच रचे।

रिपोर्ट की मानें तो दोनों भाइयों – मुकेश और सनी ने यह दावा किया उनके जैसे 200 से अधिक लोगों को रूस और बेलारूस की सीमा पर रूसी सेना शिविर में शामिल किया गया। उनका कहना है इन लोगों में अधिकांश दक्षिण एशिया के रहने वाले हैं। चचेरे भाइयों ने कहा कि एजेंटों द्वारा उन्हें धोखे से जर्मनी के बजाय बैंकॉक भेज दिया गया। जहां उन्हें एक होटल में नौकरी देने का वादा किया गया था। बैंकॉक से उन्हें हवाई मार्ग से बेलारूस ले जाया गया। यहां उन्हें रूसी सेना के शिविर में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। उल्लेखनीय है कि रूस में ऐसे तथाकथित एजेंट पहले से ही सक्रिय हैं जो दक्षिण एशियाई पुरुषों को रूसी वर्क परमिट, रूसी दुल्हन और यहां तक ​​कि सेना में शामिल होने पर रूसी पासपोर्ट की पेशकश करके लुभाने की कोशिश करते हैं। दोनों भाइयों का दावा है कि ऐसा करने के लिए इन एजेंटों को कमीशन भी मिलता है।

अवैध रूप से कराया रूस में दाखिला
रिपोर्ट की मानें तो दोनों भाइयों ने जब सेना में शामिल होने से मना कर दिया तब उन पर अवैध रूप से रूस में घुसने का केस दर्ज कर मॉस्को की जेल में बंद कर दिया गया। उन्होंने दावा किया कि उन्हें एजेंटों द्वारा भूखा, प्यासा रखा गया और शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान किया गया। मॉस्को के एक वकील ने उन्हें जेल से बाहर निकलने और घर लौटने में उनकी मदद की। उन्होंने कहा कि रूसी वकील ने इस काम के लिए 6 लाख रुपये लिए थे।

फंसे हैं और भी लोग
बताया जा रहा है कि मुकेश और सनी के अलावा पाकिस्तान और पंजाब के रहने वाले दो लोगों ने भी सेना में शामिल होने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्हें अवैध रूप से रूस में प्रवेश करने के आरोप में जेल में डाल दिया गया। सनी के हवाले से मशहूर अखबार ने कहा, "हमारे दो दोस्त अभी भी वहां फंसे हुए हैं और उनके परिवार बहुत तनाव में हैं।" उन्होंने खुलासा किया कि उनके साथ करनाल के कुछ और लोग उसी शिविर में रुके थे, जिन्हें जबरन रूस-यूक्रेन सीमा पर तैनात किया गया है।

मुकेश ने कहा, "मुझे नहीं पता कि किन परिस्थितियों में हमारे दोस्त सेना में शामिल होने के लिए सहमत हुए। उन सभी को कहीं और ले जाया गया। उसके बाद मैंने उन्हें नहीं देखा।" मुकेश और सनी के परिवारों ने अब पुलिस से शिकायत की है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 402 (डकैती करने के लिए इकट्ठा होना) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत उन एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।


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