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हाईकोर्ट ने बताया; वर्क फ्रॉम होम के दौरान कंपनी से हो कानूनी विवाद तो कहां चलेगा केस l ऑनलाइन बुलेटिन

तिरुवनंतपुरम l (कोर्ट बुलेटिन) l वर्क फ्रॉम होम के दौरान कंपनी से होने वाले विवाद पर केरल हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि केवल वर्क फ्रॉम होम उस न्यायालय को अधिकार क्षेत्र देने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कर्मचारी काम कर रहा है। जस्टिस सुनील थॉमस ने कहा कि अगर कर्मचारी घर से काम करने की इजाजत है और कंपनी को पता है कि कर्मचारी एक अलग अधिकार क्षेत्र में है, यह अधिकार क्षेत्र प्रदान कराने का पर्याप्त आधार नहीं है।

 

यह फैसला एक महिला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद आया, जो मुंबई स्थित HIL में डिप्टी जनरल मैनेजर थी। कोरोना महामारी के दौरान महिला एर्नाकुलम स्थित अपने घर आ गई थी और अक्टूबर 2020 में रिजाइन देने तक वर्क फ्रॉम होम करती रही। कोची स्थित HIL की एक और यूनिट का वह अतिरिक्त कार्यभार संभाल रही थी। उसने दावा किया था कि उसे एक महीने का वेतन और टर्मिनल लाभ नहीं दिया गया।

 

कोर्ट में दोनों पक्षों ने रखे अपने तर्क

 

इसके बाद महिला ने अदालत का रुख किया। सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से वकील पूजा मेनन ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को नवी मुंबई में उसके ऑफिस से स्थानांतरित नहीं किया गया था और वह नवी मुंबई में कंपनी के पेरोल पर थी। इस बचाव पक्ष ने कहा कि उसने नवी मुंबई ऑफिस में ड्यूटी के लिए ऑनलाइन रिपोर्ट की और उस ऑफिस से निर्देश लिए।

 

अदालत ने US कोर्ट के फैसले का जिक्र किया

 

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट आर श्रीहरी ने तर्क दिया कि चूंकि वह एर्नाकुलम में घर से काम करती थी और एर्नाकुलम में उद्योगमंडल इकाई का अतिरिक्त प्रभार संभाल रही थी, जो इस अदालत को मामले में क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र प्रदान करेगी। वहीं, जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मुद्दे पर भारतीय अदालतों ने शायद ही कोई निर्णय लिया हो, इसलिए ऐसे मामलों में अमेरिकी अदालतों की ओर से लिए गए फैसलों पर विचार किया गया।


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