दुनिया में ऐसी और नहीं… सम्राट अशोक और शाक्यानी देवी की प्रेम कहानी | Emperor Ashoka
©डॉ. एम एल परिहार
The love story of Emperor Ashoka and Shakyani Devi. Nothing else like it in the world. Ashoka did not build any grand luxurious palace for the queen, but built a grand stupa of Sanchi according to the Buddha Dhammasraddha of the goddess.
ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : सम्राट अशोक और शाक्यानी देवी की प्रेम कहानी. दुनिया में ऐसी और नहीं. अशोक ने रानी के लिए कोई भव्य विलासी महल नहीं बनवाया बल्कि देवी की बुद्ध धम्मश्रद्धा अनुसार सांची का भव्य स्तूप बनवाया. (Emperor Ashoka and Shakini Devi)
वाकई दुनिया में अनूठी है प्रियदर्शी सम्राट अशोक और उज्जैनी वेदिसागिरी के धनी सेठ की पुत्री महादेवी की प्रेम कहानी.
पाटलिपुत्र के सिंहासन पर राजा बिंदुसार विराजमान थे. इसी दौरान अवंतिका जनपद के उज्जैनी राज्य में विद्रोह भड़क उठा. कुशल वीर योद्धा प्रिंस अशोक को पिता ने विद्रोह को शांत करने के लिए वायसराय बना कर उज्जैनी भेजा. उम्र कोई 18- 20 साल की होगी. बुद्ध के धम्म और अहिंसा से दूर-दूर का कोई वास्ता नहीं था . (Emperor Ashoka and Shakini Devi)
एक दिन उज्जैन क्षेत्र के एक कस्बे में पड़ाव डाला . प्रिंस अशोक जिस मुखिया के घर ठहरे उसके पास ही नगर का धनी सेठ रहता था. लोग प्रिंस से मिलने जा रहे थे लेकिन सेठ की पुत्री और बुद्ध की उपासिका देवी अशोक से मिलने नहीं गई. कुछ सहेलियों ने समझाया तो देवी ने बहुत स्वाभिमान के साथ प्रिंस को फूलों का हार भेंट किया.
प्रिंस अशोक देवी की सुंदरता पर मोहित हो गए. साथ में देवी के साहस और स्वाभिमान से भी बहुत प्रभावित हुए. अशोक ने देवी से विवाह करने का तय किया. देवी के पिता से प्रस्ताव रखा. पिता ने स्वीकार तो किया लेकिन यह भी कहा कि यह प्रस्ताव इसलिए नहीं स्वीकार किया है कि यह परिवार राजकुमार अशोक से डरता है.
साथ में पुत्री देवी ने यह शर्त रखी कि यदि उज्जैन क्षेत्र का विद्रोह बिना खून खराबे से शांत किया जाएगा तो अशोक से विवाह करेगी. देवी का परिवार बुद्ध के प्रेम, मैत्री और करुणा के मार्ग में विश्वास करता था.
शाक्य कुमारी देवी का पूरा परिवार व्यापार के साथ बुद्ध के धम्म के प्रति समर्पित था. वह आस-पास के विहारों में अपनी सेवाएं देती थी, खूब दान करती थी. दोनों का मिलना होता रहा.
कुछ दिन बाद अशोक को वहां से शांति के लिए जाना पड़ा, लेकिन दो दिन नहीं लौटे तो देवी के परिवार को शक हुआ. देवी पास के एक विहार में सेवा के लिए गई तो पास में अशोक एक गुफा में मिले. दरअसल वहां विद्रोहियों ने हमला कर दिया था. अशोक को सुरक्षित न देखकर देवी ने वहां कुछ दिन सेवा की. अंततः अशोक की कुशलता से विद्रोह बिना खून खराबे के शांत हो गया. और अशोक और देवी का विवाह हो गया. (Emperor Ashoka and Shakini Devi)
देवी, सम्राट अशोक की पहली और प्रिय पत्नी थी. विवाह के बाद देवी, अशोक को बुद्ध के धम्म की शरण में लाने के लिए निरंतर प्रयास करती रही. पुत्र, पुत्री का जन्म हुआ.
महारानी देवी अपने बच्चों की धम्म परवरिश के कारण पाटलिपुत्र की बजाए वेदिसागिरी में ही रही. वह महारानी की बजाय धम्म सेविका के रुप में रहना चाहती थी. इसलिए यहीं धम्म सेवा व प्रचार करती रही.
जब अवसर मिला तो धम्म को समर्पित इस रानी ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को भगवान बुद्ध के वचनों को जगत के कल्याण के लिए प्रचार हेतु सिरीलंका भेजा. फिर वे दोनों वही के हो गए.
समय ने करवट ली. अशोक सिंहासन पर बैठे, सम्राट बने. कुछ समय बाद कलिंग युद्ध में भीषण नरसंहार हुआ. रानी देवी की बुद्ध धम्म चर्चा सम्राट अशोक के जहन में फिर याद आई, आचार्य के पास गए और अशोक बुद्ध और धम्म की शरण ऐसे गए कि फिर लौट के नहीं आए. फिर तो पूरी दुनिया को धम्म मार्ग पर ले गये.
रानी देवी की प्रबल इच्छा पर ही सम्राट ने वेदिसागिरी के सांची में ही भगवान बुद्ध का धम्म प्रतीक विशाल स्तूप बनवाया.
रानी देवी ने अपने लिए कोई विलासिता पूर्ण भव्य महल नहीं बनवाए क्योंकि शाक्य कुल की इस देवी को तो विरासत में भगवान बुद्ध का धम्म मिला था. जिसे संजोते हुए जीवन के अंत तक धम्म की महान सेवा करती रही. उन्हीं के नाम पर बेसनगर (भिलसा) शहर का नाम विदिसा रखा गया. (Emperor Ashoka and Shakini Devi)
आपको जिज्ञासा हो सकती है कि उज्जैन क्षेत्र में शाक्य कैसे आ गए? दरअसल गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद कोशल के राजा प्रसेनजीत के पुत्र बिदूड़म ने दासी पुत्र कुल के कारण कपिलवस्तु में अपने ननिहाल पक्ष के शाक्य परिवारों को बहुत सताया, हमला कर मारने लगा, तो कुछ परिवार के वहां से वेदिसागिरी आ गए और यही बस कर व्यापार करने लगे. उसी एक शाक्य परिवार के कुल की धम्मपुत्री थी देवी, जिन्हें सम्मान से महादेवी, शाक्यानी, शाक्य कुमारी भी कहते हैं.
सम्राट अशोक को बुद्ध के धम्म की शरण में लाने में रानी शाक्यानी देवी का महान योगदान है. वाकई अनूठी है इनकी प्रेम कहानी. लेकिन यह कहानी उन दोनों तक ही खत्म नहीं हुई बल्कि बुद्ध के धम्म का विश्वव्यापी स्वरूप लेकर आज सम्पूर्ण मानव जगत का कल्याण कर रही हैं. (Emperor Ashoka and Shakini Devi)
भवतु सब्बं मंगल. सबका मंगल हो. सभी प्राणी सुखी हो…
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