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…तो क्या बुद्ध मायावी थे? क्या Buddh जादूगर थे, चमत्कारी थे? आखिर Buddh के पास क्या था? क्या विद्वान और क्या ब्राह्मण, सब खींचे चले आये और शरणागत हुए…

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

Lord Buddha fulfilled the resolution he had taken. The dream of Dhamma that I had seen, came true while alive. The founder of any ideology or religion in the world could not do this in his life.

 

भगवान Buddh ने जो संकल्प लिया था, पूरा किया. धम्म का जो सपना देखा था, जीते जी साकार हुआ. दुनिया में किसी भी विचारधारा या धर्म का संस्थापक अपने जीवन में ऐसा नहीं कर पाया.

 

तो क्या Buddh मायावी थे? क्या बुद्ध जादूगर थे, चमत्कारी थे? दूसरी मान्यता के लोग तो उनको यही समझते थे. आखिर बुद्ध के पास क्या था? जिसके कारण सम्राट हो या धनी वणिक. क्या विद्वान और क्या ब्राह्मण, सब खींचे चले आये और शरणागत हुए.

 

अद्भुत दौर था वह. जिसने भी बुद्ध को एक बार सुना वह सारी सुध बुध खो बैठा. एक बार आया तो फिर लौट कर नहीं गया.

 

वाराणसी के नगर सेठ का पुत्र यश. क्या नहीं था उसके पास, अपार धन दौलत. लेकिन एक चीज नहीं थी, मन की शांति. वह उसे बुद्ध के पास मिली, तो वह फिर घर जाने का रास्ता ही भूल गया.

 

उरुवेला के आचार्य कश्यप बंधुओं का बड़ा नाम था, हजारों शिष्य थे लेकिन अपनी सारी परंपराओं व शास्त्रों को छोड़कर Buddh की शरण गए.

 

धनी ब्राह्मण परिवार के सारिपुत्र ने तो बुद्ध को देखा तक नहीं था. बुद्ध के शिष्य अश्वजीत से भगवान की सिर्फ एक गाथा सुनी थी. सारिपुत्र अपने मित्र मौग्लायायन के साथ Buddh के पास खींचे चले गये और दोनों धम्म सेनापति कहलाए.

 

कुरु जनपद के धनी युवा राष्ट्रपाल ने एक बार बुद्ध की अमृतवाणी क्या सुनी, अपार धन वैभव को त्यागने के लिए छटपटाया. भिक्षु बनने के लिए सात दिन तक कड़ी धूप में सत्याग्रह किया. आखिर Buddh, धम्म और संघ की शरण जाकर ही चैन मिला.

 

हजार हत्याएं करने वाला डाकू अंगुलिमाल बुद्ध के एक शब्द पर क्यों जाग उठा? खड्ग फेंक कर क्यों शरणागत हुआ?

 

जैसे आकाश में चंद्रमा की शीतल रोशनी के चारों ओर तारे चमकते हैं वैसे ही बुद्धत्व प्राप्ति के कुछ ही साल में बुद्ध के चारों ओर हजारों विद्वान अनमोल भिक्षु संघ में आ गए. उनमें अधिकतर ऐसे थे जिनके पास सब कुछ था.. लेकिन बुद्ध के पास क्या था? Buddh के पास था सत्य. संसार के सभी प्राणियों के प्रति प्रेम, करुणा और मैत्री की मधुर वाणी.

 

इतिहास में बुद्ध के समान दूसरा कोई नहीं है. वह सत्यवादी और व्यवहारवादी थे. अंदर बाहर एक जैसे. जो मार्ग उनके खुद के लिए ठीक था, वही दूसरों के लिए सही समझा. वह सभी को उसी मार्ग पर लेकर गये.

 

जब पुत्र राहुल ने पिता से विरासत मांगी, राज्य का उत्तराधिकार चाहा तो Buddh ने धम्म का साम्राज्य देकर राहुल को भिक्षु बनाया. सौतेले भाई नंद को सांसारिक दुख में पड़ने से पहले ही अपना भिक्षा पात्र थमाकर पीछे चलने की आज्ञा दी और वह ऐसा चला गया कि वापस महल आने का होश ही नहीं रहा.

 

जिन्होंने भी बुद्ध की अमृतवाणी सुनी, एक ही झटके से सब कुछ छोड़ कर बुद्ध के पास चले आए. फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. जो त्याग दिया सो त्याग दिया, उसकी ओर मुड़कर क्या देखना. आखिर बुद्ध के पास क्या था?

 

Buddh के पास सत्य था. प्रेम, करुणा मैत्री का महासागर.. शील, समाधि और प्रज्ञा का मार्ग. यही उनका बताया हुआ धम्म मार्ग है, मुक्ति का मार्ग है. यही सुख-शांति के जीवन का मार्ग है.

 

भवतु सब्बं मंगलं..सबका मंगल हो…सभी प्राणी सुखी हो

Buddh

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