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प्री-डायबिटीज एक गंभीर हेल्थ कंडीशन है, इसमें शुगर लेवल नॉर्मल से ज्यादा और टाइप 2 डायबिटीज से कम होता है. सरल भाषा कहा जाए तो प्री-डायबिटीज खुद को डायबिटीज होने से बचाने का आखिरी चांस के संकेत की तरह होता है. यदि इस स्टेज पर शुगर को कंट्रोल कर लिया जाए तो टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है. 

ऐसे में फूड सीक्वेंसिंग बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है. क्योंकि इसकी मदद से आप आसानी से अपनी डाइट में कार्बोहाइड्रेट, सब्जी फैट-प्रोटीन की मात्रा को बैलेंस कर सकते हैं जो कि शुगर को कंट्रोल रखने के लिए बहुत जरूरी होता है. हाल ही में फूड सीक्वेंसिंग का ट्रेंड काफी बढ़ भी गया है. कुछ स्टडीज में इसे वेट कंट्रोल करने में भी प्रभावी पाया गया है.

फूड सीक्वेंसिंग में क्या होता है

इसके तहत खाने में दाल सब्जी को पहले लेना और चावल-रोटी जैसे कार्बोहाइड्रेट्स को बाद में खाना होता है. इससे बॉडी में शुगर लेवल काफी हद तक कंट्रोल में रहता है. प्री-डायबिटिक यानी शुगर के जोखिम वाले लोगों के लिए यह रूटीन फायदेमंद हो सकता है.

वेट कंट्रोल में भी फायदेमंद

यूसीएलए हेल्थ में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. विजया सुरमपुडी बताते हैं कि कई स्टडीज से यह पता चलता है कि फूड सीक्वेंसिंग से वेट कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है. डॉ. विजया कहती हैं, हमारा टारगेट केवल हाई क्वालिटी वाला खानपान होना चाहिए, जिसका हम आनंद लेते हैं. 

प्री-डायबिटीज में शुगर लेवल कितना होता है?

mayo clinic के अनुसार, सामान्य रूप सेः 100 मिलीग्राम/डीएल (5.6 एमएमओएल/एल) से कम सामान्य है. 100 से 125 mg/dL (5.6 से 6.9 mmol/L) को प्रीडायबिटीज के रूप में निदान किया जाता है.


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