.

Confluence of India and France : मानव-स्वतंत्रता के दो स्तम्भ ! भारत और फ्रांस का संगम…

Editorial
के. विक्रम राव

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली

-लेखक इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


 

Confluence of India and France : editorial

 

गले महीने गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली आकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति एक कीर्तिमान रचेंगे। फ्रांस अकेला गणराज्य है जिसके भिन्न राष्ट्रपति गण पांच बार गणतंत्र दिवस की शोभा बढ़ा चुके हैं। यूरोप का कोई अन्य देश भारत के इतने निकट और प्रिय नहीं रहा। इसीलिए राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रोन का आगमन इन एशियायी और यूरोपीय महाद्वीपों के राष्ट्रों को अधिक आत्मीय बनाता है।

 

विश्व मानव समाज को फ्रांस ने यदि स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के सूत्रों से अपनी महान क्रांति (5 मई 1789) पर विभूषित किया था, तो भारत ने भी दुनिया को याद दिलाया था कि “स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” (कर्नाटक के बिलगावी नगर में होम रूल सम्मेलन में : अप्रैल 1916 लोकमान्य तिलक की घोषणा)। इन दोनों नारों से मानव आजादी के संघर्षों को नया आयाम मिला था।(Confluence of India and France)

 

राष्ट्रपति मैक्रोन का भारत आगमन नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा ठीक सात माह बाद होगा। गत 14 जुलाई को भारतीय प्रधानमंत्री पेरिस में थे। वहां बेस्टिल दिवस था, फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस। हर स्वाधीनता प्रेमी के लिए बेस्टिल डे बड़ा प्यारा है। यह विश्व इतिहास में मानव-संघर्ष की शृंखला में एक विशेष तथा स्मरणीय कड़ी है। इसी दिन जेल के फाटक तोड़े गए थे। सारे कैदी छुड़ाए गए थे। तब तक फ्रांस में बादशाहत होती थी। सम्राट लुई सोलहवां निष्कंटक, तानाशाह, जालिम और निरंकुश था। उसने देश की आर्थिक स्थिति को खराब कर दी थी। जनता में त्राहि-त्राहि मच गई थी। तभी (18वीं सदी में) ब्रिटेन के खिलाफ आजादी का युद्ध करते अमेरिका की फ्रांस ने भरपूर मदद की थी। यह बड़ी खर्चीला रही। राजकीय फिजूलखर्ची भी बेतहाशा थी। राष्ट्र दिवालियापन की कगार पर था। दाम आसमान छू रहे थे। तब भूखी दीनहीन प्रजा ने सशस्त्र बगावत कर दी। सम्राट लुई को मौत के घाट उतार दिया। उनकी साम्राज्ञी मारिया अंतोनेत ने महल के झरोखे से विशाल जुलूस के नारे लगते सुने। सेवक से पूछा : “क्या है” ? जवाब मिला : “ये बुभुक्षित प्रदर्शनकारी रोटी मांग रहे हैं जो नहीं मिल रही है।” इस पर रानी का सीधा, सरल सुझाव था : “तो यह केक खाएं।” बस क्रुद्ध जनता ने रानी को पकड़ा और गिलोटिन पर चढ़ा दिया। (Confluence of India and France)

 

भारत और फ्रांस के सौहार्द्र का आभास इसी से हो जाता है कि विगत 73 गणतंत्र दिवसों पर अधिकतम अवसरों पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति ही अतिथि बने हैं। साल 1976 में फ्रांसीसी प्रधानमंत्री जैक्स शिराक शामिल होने वाले पहले नेता थे। इसके बाद 1980 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति वैलेरी गिस्कार्ड डी’एस्टेंग, 1998 में राष्ट्रपति जैक्स शिराक, 2008 में राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और 2016 में राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद गणतंत्र दिवस में आए थे।

 

भारतीय कूटनीतिक पर्यवेक्षक भी मानते हैं कि यदि कोई भारत का निकटतम मित्र कोई यूरोपीय यूनियन का सदस्य राष्ट्र रहा तो वह फ्रांस है। याद आता है 13 मई 1998 जब अटल बिहारी वाजपेई के प्रधानमंत्री काल में पोखरण में आणविक परीक्षण हुआ था। तब कई यूरोपीय राष्ट्रों ने भारत का बायकाट किया था।(Confluence of India and France)

 

उस समय जब दुनिया के ज़्यादातर देशों ने भारत का साथ छोड़ दिया था। तब भारत को फ़्रांस से मदद मिली थी। फ़्रांस ने उस वक़्त दो टूक शब्दों में कहा था कि एशिया में कोई देश हमारा पार्टनर है, तो वो भारत है। उनका यही स्टैंड आज तक क़ायम है। दूसरे मौक़े भी आए, जब फ़्रांस ने भारत का साथ दिया है। फ़्रांस पहला देश था, जिसने कहा था कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनना चाहिए। रूस, अमरीका और ब्रिटेन के कहने से बहुत पहले फ़्रांस ने अपना पक्ष सामने रखा था। चीन से सीमा तनाव के बीच जिस रफ़ाल के आने से भारत में ख़ुशी की लहर है, वो लड़ाकू विमान भी भारत ने फ़्रांस से ही ख़रीदा है। दोनों देश इंटरनेशनल सोलर एलायंस का हिस्सा भी है।

 

सदियों पूर्व भारत-फ्रांस रिश्तों के इतिहास पर नजर डालें। तब ब्रिटिश साम्राज्यवादियों से भारतीय सशस्त्र युद्ध कर रहे थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के रॉबर्ट क्लाइव के खिलाफ संघर्ष में फ्रांसीसी जनरल डुप्लेक्स दक्षिण भारत में मुर्ज़ाफा जंग और कर्नाटक युद्ध में चंदा साहिब के साथ सहयोगी थे। ये रिश्ते फ्रांसीसियों के लिए फायदेमंद थे। मद्रास की लड़ाई में (1746) फ्रांसीसी सफल हुए, और फ्रांसीसी और भारतीयों ने एक साथ मिलकर 1749 में अनवरुद्दीन को हरा दिया। फिर 1782 में, लुईस सोलहवें मराठा पेशवा माधवराव का साथ दिया। परिणामस्वरूप बुसी ने अपने सैनिकों को इले डी फ्रांस (मॉरीशस) में स्थानांतरित कर दिया और बाद में 1783 में भारत में फ्रांसीसी प्रयास में योगदान दिया। एडमिरल सुफ्रेन अंग्रेजों के खिलाफ दूसरे एंग्लो-मैसूर युद्ध में हैदर अली के सहयोगी बन गए। ईस्ट इंडिया कंपनी 1782-1783 में भारत और श्रीलंका के तटों पर रॉयल नेवी के खिलाफ पांच लड़ाइयों में शामिल हुई। फरवरी 1782 से जून 1783 के बीच, सुफ्रेन ने अंग्रेजी एडमिरल सर एडवर्ड ह्यूजेस से लड़ाई की और मैसूर के शासकों के साथ सहयोग किया। फ्रांसीसी सैनिकों की एक सेना ने कुड्डालोर पर कब्ज़ा करने के लिए हैदर अली का साथ दिया। पांडिचेरी, करिकल, यानम और माहे पर फ्रांस के पास थे। (Confluence of India and France)

 

फ्रांसीसी शिक्षा की छाप नवाबी शहर लखनऊ में मिलती है। वहां मेजर जनरल क्लाद मार्टिन ने अपनी जायदाद पर मशहूर कॉलेज की स्थापना की। मुझे गर्व है मेरे दोनों पुत्र सुदेव और विश्वदेव इस फ्रांसीसी शिक्षा संस्थान ला मार्टिनियर कालेज में शिक्षित हुए। खुद अपनी पांच बार की पेरिस यात्रा की मीठी यादें मैंने संजोये रखा है। वहां ईफल टावर आजादी का प्रतीक है। दिल्ली में कुतुब मीनार गुलामी का। यही फर्क है।(Confluence of India and France)

 

Editorial
के. विक्रम राव

🔥 सोशल मीडिया

 

फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें

https://www.facebook.com/onlinebulletindotin

Confluence of India and France

व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld

 

ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.

 

🔥 अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रसारित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।

 

ये खबर भी पढ़ें:

Telecom Consumer Awareness Program : महिला कल्याण समिति धोरी, बोकारो का टेलीकॉम उपभोक्ता जागरूकता कार्यक्रम…

 


Back to top button