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viral video on gender bias in office- सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो – पुरुष कर्मचारियों के साथ भेदभाव की कहानी

viral video on gender bias in office- 📌

viral video on gender bias in office- 📌 आज के दौर में जहां बराबरी की बात हर मंच पर हो रही है, वहीं एक वीडियो ने इंटरनेट की दुनिया में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर हैंडल @ArunKosli से अरुण यादव द्वारा शेयर किया गया एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दफ्तरों और कॉर्पोरेट कल्चर में पुरुषों के साथ हो रहे भेदभाव को बेबाकी से दिखाया गया है।

viral video on gender bias in office- 📌 इस वीडियो में ना सिर्फ एक सच्चाई उजागर की गई है, बल्कि सिस्टम और सोच पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया गया है – “आखिर पुरुष समाज के साथ ये भेदभाव क्यों?”


🎥 वीडियो की कहानी क्या है?

वीडियो में दिखाया गया है कि एक ऑफिस में महिला कर्मचारी के लिए बॉस का रवैया बेहद सौम्य और नरम है।

  • महिला कर्मचारी के लिए बॉस खुद अपनी गाड़ी और ड्राइवर भेजने को तैयार रहता है।

  • उसकी तनख्वाह बढ़ाने की बात पर बॉस झट से हामी भरता है।

  • उसके काम के घंटे कम कर दिए जाते हैं, और हर नखरे पर मुस्कान बनी रहती है।

लेकिन दूसरी ओर, जब एक मेहनती पुरुष कर्मचारी की बात आती है,

  • उसे कड़ी फटकार मिलती है,

  • बॉस उसे बिना देर किए नौकरी से निकालने को तैयार हो जाता है,

  • और कोई सहानुभूति या समझ नहीं दिखाई जाती।


😲 क्यों हुआ ये वीडियो वायरल?

इस वीडियो ने लोगों की एक दबी हुई भावना को मंच दे दिया – “पुरुषों के साथ हो रहे अदृश्य भेदभाव”

  • वीडियो में कोई शोर नहीं, कोई भाषण नहीं, सिर्फ एक कहानी है जो सच्चाई को आईने की तरह दिखाती है।

  • लोगों को इसमें कॉर्पोरेट और दफ्तर की असल हकीकत दिखी, और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।

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📣 यूज़र्स की प्रतिक्रिया:

इस पोस्ट पर हजारों लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। कुछ मुख्य टिप्पणियां:

  • “मैंने खुद अपनी कंपनी में यही महसूस किया है।”

  • “Equality सिर्फ महिलाओं के लिए क्यों? पुरुषों के लिए भी जरूरी है।”

  • “बहुत सही वीडियो है, ऐसे मुद्दे अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।”


💬 बड़ा सवाल – क्या पुरुष कर्मचारी Being Taken for Granted हैं?

आज की कंपनियों में फेमिनिज़्म को प्रमोट करना एक ट्रेंड बन चुका है, लेकिन इसका संतुलन कहीं गड़बड़ा गया है।

  • महिला अधिकार ज़रूरी हैं, लेकिन पुरुष कर्मचारियों की मेहनत को नजरअंदाज करना कहां तक सही है?

  • इस वीडियो ने उसी पक्ष को उजागर किया जिसे अक्सर “मर्द है, सब सह सकता है” कहकर चुप करा दिया जाता है।


📊 सामाजिक परिपेक्ष्य में पुरुषों के साथ भेदभाव

  1. भावनात्मक पक्ष की अनदेखी: पुरुष कर्मचारियों को अक्सर “भावनाविहीन रोबोट” माना जाता है।

  2. वर्कलोड असमानता: महिला कर्मचारी को छूट, पुरुष को ड्यूटी पर डांट।

  3. छुट्टी और लचीलापन: महिलाओं को लचीलापन, पुरुषों को सख्ती।


🧠 यह सिर्फ वीडियो नहीं, सोच का आईना है

अरुण यादव का ये वीडियो सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि पूरे समाज की एक गहरी परत को दिखाता है।

  • जब एक पुरुष भावनाएं जताता है तो उसे ‘कमज़ोर’ कहा जाता है।

  • जब वह अधिकार मांगता है तो ‘बागी’ कहा जाता है।

  • और जब वह सहता है, तो ‘स्वाभाविक’ माना जाता है।


📢 क्या किया जा सकता है?

  • कंपनियों में जेंडर न्यूट्रल पॉलिसी लागू होनी चाहिए।

  • पुरुषों की मेंटल हेल्थ और वर्कप्लेस वेलबीइंग पर भी ध्यान देना चाहिए।

  • HR डिपार्टमेंट को समान व्यवहार की ट्रेनिंग देनी चाहिए।

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🔚 निष्कर्ष: बराबरी का मतलब सभी के लिए बराबरी

महिलाओं को अधिकार देने के साथ-साथ, पुरुषों को भी सम्मान और सहानुभूति मिलनी चाहिए।
अरुण यादव का यह वीडियो हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सच में बराबरी की ओर बढ़ रहे हैं, या सिर्फ एकतरफा सुधार को ही “प्रगतिशीलता” मान बैठे हैं?

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