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एमपी की मंडी में 300 किलो प्याज के किसान को मिले मात्र 2 रुपए, इस साल फिर निकल रहे किसानों के आंसू | ऑनलाइन बुलेटिन

भोपाल | [मध्य प्रदेश बुलेटिन] | प्याज का कम रेट किसानों की आंखों में आंसू ला रहा है। प्याज का दाम थोक मंडी में इतना कम मिल रहा है कि किसानों को खेती की लागत तो दूर मंडी तक लाने का खर्च तक नहीं निकल पा रहा है। मध्य प्रदेश के शाजापुर की मंडी में तो किसान का 300 किलो प्याज सिर्फ 2 रुपए में खरीदा गया। इस पर कांग्रेस ने भाजपा की शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा- शिवराज जी, जरा किसानों का सोचिए..।

 

देवास जिले के ग्राम भुदानी का किसान जयराम 6 कट्‌टे प्याज बेचने नजदीकी मंडी शाजापुर पहुंचा था। इन कट्‌टों में 300 किलो प्याज था। इसे 80 पैसे से सवा रुपए प्रति किलो तक खरीदा गया। इस तरह कुल कीमत 330 रुपए बनी, लेकिन इसमें से ट्रांसपोर्ट और हम्माली/तुलाई का खर्च काटने के बाद किसान जयराम को सिर्फ 2 रुपए का ही भुगतान किया गया।

 

विधायक बोले, शिवराज जी किसानों के बारे में सोचिए…

 

खरगोन से कांग्रेस के विधायक रवि जोशी ने भी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का किसान प्याज लेकर मंडी में बेचने गया। सारा खर्चा काटने के बाद उसके पास बचे केवल 2 रुपए। शिवराज जी, किसानों के बारे में सोचिए…।

 

2 रु. भुगतान पर व्यापारी ने दिया यह तर्क…

 

किसान जयराम से प्याज खरीदने वाले शाजापुर के प्याज व्यापारी शहादत खान से जब इस बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि किसान जयराम जो प्याज लेकर आया, उसकी क्वॉलिटी ठीक नहीं थी। बावजूद उसे 80 पैसे से सवा रुपए किलो तक खरीदा। अगर प्याज अच्छी क्वालिटी का होता तो 11 रुपए किलो तक खरीदा जाता। जयराम छह कट्‌टों में 300 किलो प्याज लेकर आया था। उसने एडवांस में 280 रुपए भाड़े के ले लिए थे। हम्माली और तुलाई का खर्च निकालकर बाकी पेमेंट जयराम को दे दिया गया है।

 

जब प्याज किसान से इतने कम दाम पर खरीदा जा रहा तो बाजार में महंगा क्यों?

 

मध्यप्रदेश की मंडियों में किसानों को अच्छी क्वॉलिटी के प्याज के अधिकतम रेट 11 से 12 रुपए मिल रहे हैं, जबकि मीडियम क्वॉलिटी का प्याज 5 से 10 और सबसे खराब क्वॉलिटी का प्याज 4 रुपए किलो से कम में खरीदा जा रहा है। दूसरी ओर, आम लोगों को प्याज 20 से 25 रुपए प्रतिकिलो तक खाने को मिल रहा है।

 

इसे लेकर भारतीय किसान संघ के नेता मुकेश पाटीदार का कहना है कि मंडियों में मनमाने रेट दिए जा रहे हैं। व्यापारी मंडी टैक्स, कमीशन, हम्माली और तुलाई का खर्च किसान से लेते हैं। वहीं, बिचौलिये भी मंडियों में सक्रिय हैं। इस कारण किसानों को रेट कम मिलते हैं और आम लोगों को महंगा खाने को मिल रहा है। इस पर लगाम लगाई जानी चाहिए।

 

कृषि मंत्री बोले थे- ऐसी फसल उगाई क्यों, जिसके रेट कम मिलें

 

विगत दिनों 8 सितंबर को शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल और धार जिले के किसान सुनील पाटीदार के बीच हुई बातचीत का ऑडियो वायरल हो चुका है। जिसमें कृषि मंत्री बोले थे कि ऐसी फसल उगाई क्यों, जिसके रेट कम मिलें।

 

बहरहाल, मध्यप्रदेश के कई जिलों में प्याज और लहसुन के रेट कम मिलने के कारण किसान प्रदर्शन कर चुके हैं। अब सरकार के प्रति किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

 

 

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