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बाढ़ के बीच केरल में अनोखी शादी, भगोने में बैठकर पहुंचे दूल्हा-दुल्हन l Onlinebulletin

नई दिल्ली l अपनी शादी को हर कोई यादगार बनाना चाहता है। इसके लिए कई तरह के जतन करने पड़ते हैं। वहीं कई बार ऐसी शादियां जीवन में यादगार पल छोड़ जाते हैं। ऐसा ही एक मामले केरल में सामने आया।

भूस्खलन की दुखद घटनाओं के बीच एक जोड़े ने अनोखे तरीके से शादी रचाई। पेशे से स्वास्थ्यकर्मी एक जोड़ा सोमवार को जलमग्न सड़कों से जूझते हुए एल्युमीनियम के एक बड़े बर्तन (भगोना) में बैठकर विवाह स्थल तक पहुंचे और और शादी के बंधन में बंधने में सफल रहे। थलावडी में एक मंदिर के निकट जलमग्न शादीघर में दोनों की शादी हुई। शादी में गिनती के रिश्तेदार आए थे।

सोशल मीडिया पर आकाश और ऐश्वर्या के खाना पकाने के बड़े बर्तन में बैठकर शादी के लिए जाने का फोटो तेजी से वायरल हो रहा है। नवविवाहित जोड़ों ने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से उन्होंने कम ही रिश्तेदारों को आमंत्रित किया था।

उन्होंने बताया कि उनकी शादी सोमवार को तय थी और वे इसे टालना नहीं चाहते थे। उन्होंने बताया कि वे कुछ दिन पहले मंदिर आए थे और तब वहां बिल्कुल पानी नहीं भरा था। पिछले दो दिनों में भारी बारिश की वजह से यहां पानी भर गया। दोनों स्वास्थ्यकर्मी हैं और चेंगन्नूर के एक अस्पताल में काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि रविवार को मंदिर के किसी व्यक्ति ने उन्हें फोन करके पूछा था कि क्या वह शादी को स्थगित करने को तैयार हैं क्योंकि कार्यक्रम स्थल पानी से भर गया था लेकिन वे दोनों स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं जो COVID ड्यूटी पर हैं ऐसे में उनको खुद नहीं पता था कि अब उन्हें शादी करने के लिए कब छुट्टी मिलेगी। इसलिए उन्होंने इसे स्थगित नहीं करने का फैसला किया। इसके बाद मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि वे उन्हें कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाने के लिए जरूरी व्यवस्था करेंगे।

सोमवार को, जब वे थलावडी पहुंचे, तो लोग दूल्हा-दुल्हन और उनके साथ आए परिवार के कुछ सदस्यों को लाने के लिए खाना पकाने के बर्तन, जो मंदिर के ही थे, के साथ तैयार थे। आकाश ने कहा कि इतने कम समय में उनके पास यही एकमात्र विकल्प उपलब्ध था। एक गहरे बर्तन में दोनों बैठ गए और कुछ लोग उसको पकड़कर मंदिर परिसर पहुंचे ताकि वह पलटे न। आकाश ने कहा कि वह उनको बर्तन में बैठने में हिचकिचाहट नहीं हुई क्योंकि बारिश के दौरान वहां अक्सर ऐसे उपाय किए जाते रहे हैं। उसने साल 2018 में बाढ़ के दौरान में घरों में फंसे लोगों को निकालने के लिए इस तरह के उपाय को देखे थे।


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