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गाजियाबाद गैंगरेप केस में पुलिस के दावे पर दिल्ली महिला आयोग को शक? CM योगी से शिकायत की जांच के लिए हाई लेवल कमेटी बनाने आग्रह | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | डीसीडब्ल्यू (दिल्ली महिला आयोग) अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे गाजियाबाद में 36 वर्षीय महिला के साथ हुए कथित गैंगरेप की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाने का आग्रह किया है। पत्र में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने यह भी कहा कि अगर महिला के आरोप झूठे पाए जाते हैं तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

मालीवाल ने यह पत्र ऐसे समय लिखा है कि जब गाजियाबाद पुलिस ने एक दिन पहले ही महिला और 3 अन्य के खिलाफ कथित तौर पर उन 5 लोगों के खिलाफ गैंगरेप का ‘मनगढ़ंत’ आरोप लगाने को लेकर एक मामला दर्ज किया, जिनके साथ उसका संपत्ति विवाद है।

 

दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में कहा कि डीसीडब्ल्यू को 18 अक्टूबर को उसके हेल्पलाइन नंबर 181 पर यौन उत्पीड़न के एक मामले के संबंध में जीटीबी अस्पताल की एक नर्स का फोन आया था, जिसमें एक काउंसलर भेजने के लिए कहा गया था।

 

प्राइवेट पार्ट में डाली गई थी लोहे की रॉड

 

उन्होंने ने कहा कि इसके बाद तुरंत एक काउंसलर को अस्पताल भेजा गया। उन्होंने कहा कि काउंसलर से बातचीत के दौरान महिला ने आरोप लगाया कि उसके साथ 5 लोगों ने 2 दिनों तक गैंगरेप किया और उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डाली।

 

मालीवाल के अनुसार, महिला ने दावा किया कि उसे बांधकर एक बोरे में सड़क किनारे फेंक दिया गया था। मालीवाल ने कहा कि आयोग ने उसका बयान दर्ज किया।

 

मालीवाल ने कहा कि डीसीडब्ल्यू ने महिला की मेडिकल रिपोर्ट देखी, जिसमें कहा गया था कि उसे रस्सी से बांधा गया था, उसके शरीर पर काटने के निशान थे, उसकी जांघों और गर्दन पर खरोंचें थीं और खून भी बह रहा था। मालीवाल ने कहा कि यह भी कहा गया है कि उसके प्राइवेट पार्ट से लगभग 5-6 सेंटीमीटर लंबी लोहे की रॉड निकाली गई।

 

दिल्ली की रहने वाली है महिला

 

गाजियाबाद पुलिस ने 18 अक्टूबर को महिला के भाई की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 342 और 376 डी के तहत एक मामला दर्ज किया था। डीसीडब्ल्यू ने 19 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी किया था क्योंकि महिला दिल्ली की रहने वाली है।

 

मालीवाल ने कहा कि हाल ही में पुलिस ने बताया कि महिला के आरोप निराधार हैं और उनके पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि उसने संपत्ति विवाद में शिकायत में नामजद 5 लोगों के खिलाफ साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गंभीर, चौंकाने वाला और परेशान करने वाला है।

 

इस संबंध में, मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि कृपया मामले की गहराई से जांच करने के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन करें। मामले के तथ्यों की विस्तार से एवं स्वतंत्र तरीके से जांच करने की आवश्यकता है, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

 

उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जानी चाहिए कि महिला को किसने चोट पहुंचाई और उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड जैसी चीज डालने के लिए कौन जिम्मेदार था, जिसे जीटीबी अस्पताल ने निकाला (जैसा कि एमएलसी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है)।

 

उन्होंने कहा कि यदि यह संदेह से परे साबित हो जाता है कि पुरुषों के खिलाफ साजिश रचने में महिला सक्रिय रूप से शामिल थी और वह पीड़ित नहीं है, बल्कि एक अपराधी है, तो मैं आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करूंगी कि महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 182 और अन्य के तहत कड़ी कार्रवाई की जाए।

 

वहीं, शुक्रवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने भी कहा कि महिला और उसके परिवार के सदस्यों ने कथित गैंगरेप के संबंध में विरोधाभासी बयान दिए। एनसीडब्ल्यू ने कहा कि पुलिस ने उसे बताया कि सबूतों के अनुसार, मीडिया में मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए व्यक्तियों को 5,000 रुपये का भुगतान किया गया था।

 

महिला को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल से छुट्टी मिली

 

5 लोगों द्वारा कथित गैंगरेप किए जाने का दावा करने वाली 36 वर्षीय महिला को शनिवार को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, महिला 18 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर अस्पताल आई और उसका मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) बनाया गया और इसे गोपनीय रखा गया।

 

जीटीबी अस्पताल ने एक बयान में कहा कि जब महिला अस्पताल पहुंची तो उसकी हालत स्थिर थी। उसकी जांच की गई और अस्पताल के प्रोटोकॉल के अनुसार उसका इलाज किया गया और सभी औपचारिकताएं पूरी की गईं। उन्होंने कहा कि उसे 22 अक्टूबर को छुट्टी दे दी गई और छुट्टी के समय मरीज की हालत स्थिर थी।

 

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