छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, कोर्ट ने इन्हें जारी किया नोटिस | ऑनलाइन बुलेटिन
नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर संबंधित पक्षों से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2012 में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण बढ़ाया था। मगर हाईकोर्ट ने अनुमति नहीं दी थी और कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ के समक्ष सरकार ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने मामले के तथ्यों और दिए गए आंकड़ों की पड़ताल किए बिना आदेश पारित किया था।
वर्ष 2012 के संशोधन के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए कोटा चार प्रतिशत घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया था, जबकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी थी और इसे 32 प्रतिशत कर दिया गया था।
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण को 14 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया था।
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