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गोरखपुर विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर ने रिसर्च में एक बड़ी सफलता हासिल की, कैंसर, डायबिटीज और हार्ट पेशेंट की करेगा बायोसेंसिंग

गोरखपुर
 गोरखपुर विश्वविद्यालय की एक प्रोफेसर ने रिसर्च में एक बड़ी सफलता हासिल की है। सहायक प्रोफेसर ने ऐसा डिवाइस तैयार किया गया है, जिसकी सहायता से कैंसर, हृदय और डायबिटीज के मरीजों के इलाज में आसानी होगी। बायो सेंसिंग नाम के इस डिवाइस को ब्रिटेन ने पेटेंट दिया है।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तूलिका मिश्रा ने एक ऐसा उपकरण डिजाइन किया है जिसकी मदद से हृदय, डायबिटीज और कैंसर पेशंट के इलाज में आसानी होगी। इसकी सहायता से ऐसे मरीजों की दवा और इंसुलिन का डोज आसानी से निर्धारित किया जा सकेगा और उनके दवा देने के समय का निर्धारण भी आसान होगा। इतना ही नहीं हृदय रोग से जुड़े रोगों की जानकारी भी बिना अतिरिक्त प्रयास के हो जाएगी। 'बायोसेंसिंग' नाम के इस डिवाइस को ब्रिटेन ने पेटेंट देकर डॉक्टर तूलिका के शोध पर मोहर लगा दी है। इस शोध के पेटेंट होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन बहुत खुश है।

डॉक्टर तूलिका मिश्रा के शोध को पेटेंट मिलने पर बधाई। यह विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

हार्ट, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के इलाज में मददगार

डॉ तूलिका से जब एनबीटी ने बात की तो उन्होंने बताया कि खराब जीवन शैली की वजह से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तेजी से बढ़ते कैंसर मरीजों ने सभी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इन रोगियों के उपचार में मदद के लिए उन्होंने करीब 5 वर्ष पहले अलग-अलग राज्यों के 9 वैज्ञानिकों के साथ मिलकर मोबाइल सेंसिंग डिवाइस पर शोध करना शुरू किया था। इसके लिए दो दशक से अलग-अलग मानव रोगों के लिए औषधीय पौधों पर शोध करते हुए इस उपकरण की डिजाइन तैयार करने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया था। सफलता मिलने के बाद 3 वर्ष पहले 2021 में इस उपकरण को पेटेंट कराने के लिए ब्रिटेन में आवेदन किया गया था। पूरी जांच परख के बाद इस डिवाइस को अब पेटेंट मिल गया है। उपकरण को उन्होंने 'को पर्सनलाइज्ड मेडिसिन एंड फार्मोंकोथेरेपी' के सिद्धांत पर डिजाइन किया है।

ऐसे काम करेगा यह डिवाइस

डॉ तूलिका ने बताया कि इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है, उपकरण को ब्लूटूथ या वाई-फाई से कनेक्ट करके मरीज के शरीर की बायोसेंसिंग की जाएगी। इसका परिणाम स्क्रीन पर दिखेगा ऐसा होने के बाद से न केवल मरीज की समस्या सामने आ जाएगी बल्कि उसके इलाज के लिए दवा का डोज क्या होगा यह सुनिश्चित करना भी आसान हो जाएगा। इस उपकरण के जरिए मनुष्य के शरीर से निकलने वाले एंजाइम्स, हार्मोंस और प्रोटीन की भी जानकारी मिल सकेगी।


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