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आर्मी लाइफ | ऑनलाइन बुलेटिन

©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

परिचय– अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.


 

 

ख़ुद की शमां बुझा, मुल्क को रोशन करते देखा है।

‘आर्मी इज माय लाइफ एंड गन इस माय वाइफ’ उसे कहते देखा है।

उसकी आंखों में महबूबा की चाह नहीं ग़ालिब,,

हिंद पर इस क़दर उस पागल को मरते देखा है।

 

ज़िंदगी बाकी है फिरभी गिरवी रखे देखा है,

घर जाते जाते वापस सरहद लौटते देखा है,

कहता है मेरी सांसे, मेरी जान है हिंद पर कुर्बान,

लौटकर तिरंगे में उसको लिपटते देखा है।

 

ऐसा नही इन्हे कभी इश्क़ नहीं होता है,

लेकिन महबूब वतन के पीछे होता है,,

वादे, कसमें ये भी देते है इश्क़ में मुर्शीद,,

लेकिन वतन इश्क़ से भी पहले होता है।

 

 

घर, परिवार, महबूब और प्यार,

नादानी, लड़कपन, वो बचपन वाले यार,,

सब छोड़कर जाते है अपना फ़र्ज़ निभाने,,

ऐसे ज़िंदगी को नमन करती वर्तू बारंबार।


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