घट रहे क्यों रोजगार | ऑनलाइन बुलेटिन
©हरीश पांडल, विचार क्रांति, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
घट रहे हैं
रोजगार क्यों ?
बढ रहे हैं
भ्रष्टाचार क्यों ?
भूल जाते,
जनप्रतिनिधि
जनता का महा मतदान- आभार क्यों ?
भारत में
जनता का,
जनता के लिए,
जनता के द्वारा,
होती है सरकार…
इस परिपाटी का गुम होता जा रहा ऐतबार क्यों?
धोती खोलकर,पगड़ी बना,
पहनाने का हो रहा व्यवहार क्यों ?
जनता के पास
गरीबी, लाचारी बदनसीबी,
बेकारी है,
और……
नेताओं के पास,
आलीशान बंगले ,कोठी ऐशो-आराम,
बड़ी-बड़ी कारों का जखीरा है तैयार क्यों ?
घट रहे हैं
रोजगार क्यों ?
बढ रहे हैं
भ्रष्टाचार क्यों?
सुनिये नेता जी,
किया गया वादा निभाना होगा,
बढ़ती जनसंख्या के आधार पर
रोजगार भी बढ़ाना होगा,
क्या नेता बनना भी
बेरोज़गारी खत्म करने
और
रोजगार पाने का तरीका हो गया है…..?
शर्म नहीं आती,
नेता बनते ही
बेरोज़गारो को नजरंदाज
करना
तुम्हारा सलीका हो गया है…?
देश के शिक्षित युवा
आज हैं निराधार क्यों?
घट रहे हैं
रोजगार क्यों ?
बढ रहे हैं
भ्रष्टाचार क्यों ?
कैसे करें हम
सरकार का आभार ??
जनता के वोटों
के दम पर
बनती है सरकार ?
मगर धन कुबेरों पर
मेहरबान होती रहती है सरकार क्यों ?
धन का
लग रहा वहीं अम्बार क्यों ?
कैसे करें हम सरकार का आभार !!
मिलता है हमको धोखा बार-बार !!
घट रहे हैं
रोजगार क्यों ?
बढ रहे हैं
भ्रष्टाचार क्यों ?