सौगात में….
©बाबू भंडारी “हमनवा’
परिचय- बल्लारपुर, महाराष्ट्र.
किससे कहूं मैं अपने दिल की बात ?
कब होगी ऐसी प्यारी सी मुलाकात ?
कैसे होंगे उस दिलरूबा के मिजाज़ ?
सामने उसके रख दूं अपने ये जज्ब़ात।
ये तन्हाई का पर्दा क्यों हैं मेरी राहों में ?
कभी तो खुशी होगी मेरी बाहों में।
कितने मुद्दतो से हुं इस खयाल-ओ-ख्वाब में।
के दिल-ए-जान दे दूं उनको सौगात में।
कभी तो ज़िन्दगी में तारीख बनेगी नाम-ए-वफा।
कभी तो शब-ए-नसीब से दूर होगी मातम-ए-जफ़ा।
कभी तो खुश्क-ए-जिस्त से होगा ख़ुदा-ए-फिदा।
इश्क-ए-फलक से किया हैं हमने ये वादा।
छा जाओ ज़िन्दगी में मेरे चमन-ए-महक की तरहा।
“बाबू” के उन्ही से मेरे ज़िन्दगी की होगी इबतेदा
सिरा में उन्ही से मेरी गुल-ए-हयात की होगी इंतेहा।
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