Buddha Dhara of Sarnath : सारनाथ की पावन बुद्ध धरा फिर चमक रही विश्व पटल पर… | ऑनलाइन बुलेटिन
सारनाथ (मृगदाव/ रिषिपत्तन) धम्म यात्रा- 1


©डॉ. एम एल परिहार
परिचय- जयपुर, राजस्थान.
Buddha Dhara of Sarnath : When did you last go to Sarnath? Now the area of Sarnath has changed a lot under the development of Buddhist circuit. The number of Tathagata’s followers from India and abroad is also continuously increasing. You too go and witness this.
ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : Buddha Dhara of Sarnath : आप पिछली बार सारनाथ कब गये थे? अब बौद्ध सर्किट के विकास के तहत सारनाथ का क्षेत्र काफी बदल गया है. देश विदेश से तथागत के अनुयाईयों की संख्या भी निरंतर तेजी से बढ़ती जा रही है. आप भी जाकर इसके गवाह बनें.(Buddha Dhara of Sarnath)
पहले यहां अधिकतर विदेश से बौद्ध अनुवाई ही आते थे लेकिन अब परिदृश्य बहुत बदल गया है धम्म के प्रति श्रद्धा के कारण भारत के कोने-कोने से लोग भगवान बुद्ध की इस पावन धरा को नमन और ध्यान करने आते हैं. यहां तथागत ने पांच संन्यासियों को पहला उपदेश दिया और धम्म के चक्र को चलाया था.
आज धम्म के उस महान दूत अनागारिक धम्मपाल जी को बार-बार वंदन करते हैं जो सिरीलंका से यहां आकर उस संकट के दौर में इस महत्वपूर्ण धम्म स्थल को दुनिया के सामने उजागर किया. उनकी गठित महाबोधि सोसाइटी के तहत सारनाथ में कई भवन, शैक्षणिक संस्थाएं और अस्पताल शुरू करवाएं.(Buddha Dhara of Sarnath)
यह जगत सिरीलंका, म्यांमार, तिब्बत, कंबोडिया, कोरिया, जापान, थाईलैंड जैसे छोटे छोटे उन देशों का बहुत आभारी है जिन्होंने सौ साल पहले से अब तक सारनाथ में भव्य विशाल बुद्ध विहार व गेस्ट हाउस बनवाकर यात्रियों के लिए ठहरने के लिए बेहतरीन व्यवस्थाएं की. इस बार हमारा ग्रुप अतिसुंदर तिब्बती बुद्ध विहार में ठहरा हुआ हैं.
वर्तमान में सारनाथ रेलवे स्टेशन के पास ही भंते चंदिमाजी के नेतृत्व में धम्मा लर्निंग सेंटर में धम्म प्रचार की कई गतिविधियां एवं यात्रियों के लिए सुंदर आवास सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. यहां अशोक बुद्ध विहार के एल.सी. मौर्य जी द्वारा धम्म प्रचार का सराहनीय कार्य किया जा रहा है.(Buddha Dhara of Sarnath)
देश दुनिया में धम्म के प्रति माहौल बहुत अनुकूल है इसलिए धम्म के पुराने अनुयाईयों को चाहिए कि वे इन बौद्ध तीर्थ स्थानों पर नए अनुयाइयों को दर्शन हेतु लावे ताकि ऐसे पावन स्थलों को देखकर उनमें धम्म के प्रति श्रद्धा बढ़े.
धम्म के प्रति सम्राट अशोक के महान योगदान, अनागारिक धम्मपाल जी द्वारा रचे गए गौरवशाली बौद्ध इतिहास के दर्शन करने, बुद्ध के धम्म को पुनर्जीवित करने में सर लॉर्ड कनिंघम के योगदान और सामाजिक क्रांति के संत कबीर और रैदास की जन्मस्थली के दर्शन करने आप बार-बार सारनाथ, वाराणसी जाएं. धम्म और ध्यान का अध्ययन और अभ्यास करने जाएं. दुनिया उमड़ पड़ी हैं. आप यह सुनहरा अवसर न चुके.(Buddha Dhara of Sarnath)
भवतु सब्बं मंगल….सबका कल्याण हो…सभी प्राणी सुखी हो.
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