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कम लगत में आज ही शुरू करें इस फल की खेती, मार्केट में है भारी डिमांड, होगी बम्पर कमाई | Rasbhari Farming

Rasbhari Farming : नई दिल्ली | [बिजनेस बुलेटिन] | Apart from the cultivation of local fruits and vegetables in India, the trend of cultivation of foreign fruits and vegetables has also increased rapidly. After strawberry and broccoli, cultivation of raspberry is also increasing rapidly. Although it is being cultivated in India since many years ago, but these days the trend of farmers towards its cultivation has increased. 25 to 30 quintal yield of raspberry is available per acre in commercial farming.

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : भारत में स्थानीय फल और सब्जियों की खेती के अलावा विदेशी फल और सब्जियों की खेती का चलन भी तेजी से बढ़ा है। स्ट्रॉबेरी और ब्रोकली के बाद रसभरी की खेती भी तेजी से होने लगी है। हालांकि भारत में बहुत साल पहले से इसकी खेती की जा रही है लेकिन इन दिनों इसकी खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ा है। रसभरी की 25 से 30 क्विंटल पैदावार व्यवसायिक खेती में प्रति एकड़ के हिसाब से मिलती है. (Rasbhari Farming)

Rasbhari Farming

अगर इसे समान्य तापमान में रखा जाए तो, ये कम से कम तीन से चार दिनों तक खराब नहीं होती. ड्राई और फ्रोजन फ्रूट्स के साथ साथ सॉस, जैम, प्यूरी, जूस और हर्बल टी जैसे उत्पादकों की वजह से रसभरी की डिमांड काफी ज्यादा होती है. इसलिए इसके दाम भी अच्छे खासे मिलते हैं. इसके अलावा छोटे स्तर पर रसभरी की खेती करके सिर्फ सॉस और जैम बनाकर इससे पूरे साल कमाई की जा सकती है. (Rasbhari Farming)

 

रसभरी की खेती के लिए 20 से 25 डिग्री का तापमान अच्छा माना जाता है, लेकिन 15 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी इसकी खेती हो सकती है. इसकी पौध में जब एक बार फल आना शुरू होता है तो 3 महीने तक भरपूर फल देता है. ये दो बीघा जमीन में खेती करने पर भी सालभर में 2 से 3 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाने में मदद कर सकती है. (Rasbhari Farming)

 

रसभरी की खेती के लिए ध्यान रखने वाली बातें-

 

अगर आप रसभरी की खेती करना चाहते हैं तो कुछ बातों को बिलकुल गांठ बांध लीजिए. ताकि आपकी लागत भी कम बनी रहे और नुकसान भी ना हो और मुनाफा आता रहे…

 

रसभरी की खेती यूं तो किसी भी तरह की मिट्टी में हो जाती है. लेकिन इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया रहती है. रसभरी की खेती करने के लिए खेत में पानी की निकासी का पर्याप्त प्रबंधन करना होता है. खेत में ज्यादा पानी रहने की स्थिति में इसके पौधे की जड़ें गल सकती हैं. रसभरी की पौध को जमीन से 20 से 25 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियों में लगाया जाता है. इससे भी पौधों के ज्यादा देर तक पानी में रहने से रक्षा होती है. (Rasbhari Farming)

 

रसभरी की पौध को हर साल जुलाई महीने में लगाया जाता है, इसके बाद जनवरी में ये फल देना शुरू करते हैं और 3 महीने तक लगातार फल देते हैं. रसभरी की खेती में एक समस्या खरपतवार की आती है. इसकी पौध में खरपतवार अधिक होती है, इसलिए तीन से चार बार गुड़ाई करनी पड़ती है. वहीं इसके खेत में 3 से 4 बार पानी लगाना पड़ता है. (Rasbhari Farming)

 

रसभरी की खेती के लिए सामान्य गोबर की खाद भी काम करती है. इसके अलावा कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. अच्छी फसल के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरकों को उपयोग में लाया जा सकता है. एक हेक्टेयर एरिया में रसभरी की खेती के लिए 200 से 250 ग्राम बीज ही काफी होते हैं. (Rasbhari Farming)

 

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