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छत्तीसगढ़ में 76 फीसद आरक्षण करने पर राज्यपाल से टकराव के आसार, भूपेश सरकार से मांगा ब्यौरा | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | CG News: छत्तीसगढ़ विधानसभा ने 3 दिसंबर को विभिन्न श्रेणियों की जनसंख्या के अनुपात में सरकारी नौकरियों में और शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण से संबंधित दो संशोधन विधेयक पारित किया था। इन विधेयकों में छत्तीसगढ़ लोक सेवा संशोधन विधेयक और छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्थान (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक शामिल है। राज्य सरकार के इस कदम से सूबे में आरक्षण बढ़ कर 76 प्रतिशत हो जाएगा। 

 

Online bulletin dot in छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके (Anusuiya Uikey) ने अभी तक सूबे में समग्र आरक्षण को बढ़ाकर 76 फीसद करने के लिए दो संशोधन विधेयकों को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने सोमवार को कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार से इस बारे में दस्तावेज मांगे हैं कि समग्र आरक्षण को किस आधार पर 76 फीसद तक बढ़ाया गया।

 

मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक इन विधेयकों को मंजूरी में देरी करने के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल अनुसुइया उइके (Anusuiya Uikey) ने कहा कि मैंने पहले छत्तीसगढ़ के सीएम को आदिवासी आरक्षण कोटा बढ़ाकर 32 प्रतिशत करने के लिए लिखा था। एसटी आरक्षण बिल के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए सहमति भी दी थी।

 

बाद में मैंने पाया कि ओबीसी, एससी और ईडब्ल्यूएस कोटा भी बढ़ाया गया है। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट में है और यह भी स्पष्ट है कि 50 फीसद की सीमा से अधिक आरक्षण दिया जाना असंवैधानिक है, तो सरकार अदालत में अपना बचाव कैसे करेगी।

 

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने यह समझने के लिए सरकार से विवरण मांगा है कि विधेयकों को अदालत में चुनौती दिए जाने की स्थिति में 76 प्रतिशत आरक्षण का बचाव कैसे किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया है। मैं इस बाबत दस्तावेज और विवरण प्राप्त करने के बाद, अपने कानूनी प्रकोष्ठ से सलाह लूंगी।

 

यदि पूरी प्रक्रिया संतोषजनक लगी तो मैं निश्चित रूप से इन विधेयकों पर हस्ताक्षर करूंगी। लेकिन, यदि मुझे लगता है कि सरकार का जवाब संतोषजनक नहीं है, तो मैं निश्चित रूप से अपनी कानूनी टीम से परामर्श के बाद अन्य विकल्पों पर विचार करूंगी।

 

बीते शनिवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel) ने संवाददाताओं से कहा था कि राजभवन (गवर्नर हाउस) की ओर से पहले कहा गया था कि जैसे ही विधेयक विधानसभा से पारित होगा, राज्यपाल तुरंत अपनी सहमति देंगी लेकिन उक्त विधेयकों के संबंध में अभी तक नहीं किया गया है।

 

विधेयकों को संभावित कानूनी चुनौतियों पर भूपेश बघेल ने कहा कि क्या किसी को अदालत जाने से रोका जा सकता है? कोई पहले ही कैसे अनुमान लगा सकता है कि अदालत में क्या होगा?

 

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