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छत्तीसगढ़ में होगा सबसे ज्यादा 81 प्रतिशत आरक्षण! आबादी के अनुपात में रिजर्वेशन की तैयारी में सरकार | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | सवर्ण आरक्षण (EWS) कोटे को सुप्रीम कोर्ट की ओर से वैध मानने बाद अब देश के कई राज्य आरक्षण की सीमा बढ़ाने की तैयारी में हैं। अब छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने ऐसी ही तैयारी की है, जिसके तहत 80 प्रतिशत तक आरक्षण दिए जाने की तैयारी है। छत्तीसगढ़ सरकार 1 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के स्पेशल सेशन में यह विधेयक लाने जा रही है।

 

इस विधेयक में छत्तीसगढ़ में आबादी के अनुपात में आरक्षण दिए जाने की तैयारी है। दैनिक हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक, इसके तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावा समाज के अन्य वर्गों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिया जाएगा।

 

छत्तीसगढ़ सरकार ने यह स्पेशल सेशन हाई कोर्ट के उस आदेश के बाद बुलाया है, जिसके तहत उसने 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण को खारिज कर दिया है। अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से 2012 के उस आदेश को खारिज किया है, जिसके तहत आरक्षण की लिमिट को 58 फीसदी तक बढ़ाने का प्रस्ताव था।

 

उच्च न्यायालय का कहना था कि 50 फीसदी से ज्यादा का आरक्षण असंवैधानिक है। अब यदि राज्य सरकार आबादी के अनुपात में कोटे की ओर बढ़ती है तो छत्तीसगढ़ में 81 फीसदी आरक्षण होगा, जो देश में सबसे ज्यादा होगा।

 

किस वर्ग को कितने कोटे की प्लानिंग में सरकार

 

इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भूपेश बघेल सरकार विधेयक में आदिवासियों के लिए 32 फीसदी कोटे का प्रावधान कर सकती है। इसके अलावा अनुसूचित जाति के लिए 12 फीसदी और ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण मंजूर किया जा सकता है। वहीं 10 फीसदी कोटा ईडब्ल्यूएस के लिए भी तय किया जाएगा।

 

इस तरह राज्य में आरक्षण की कुल लिमिट 81 फीसदी तक हो जाएगी और सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए सामान्य वर्ग के लिए 19 फीसदी सीटें ही बचेंगी। इससे पहले 2012 के आदेश के तहत 32 फीसदी आरक्षण आदिवासियों को, 12 फीसदी एससी वर्ग को और 14 पर्सेंट आरक्षण ओबीसी के लिए तय किया गया था।

 

हाई कोर्ट ने क्यों खारिज किया था 58 फीसदी का आरक्षण

 

लेकिन हाई कोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण को खारिज करते हुए कहा था कि 50 पर्सेंट की लिमिट को तोड़ना असंवैधानिक है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद एसटी के लिए आरक्षण 20 फीसदी हो गया। अनुसूचित जाति का कोटा 16 फीसदी कर दिया गया था और ओबीसी के लिए 14 फीसदी रखा गया। यह वही लिमिट थी, जो अविभाजित मध्य प्रदेश में तय की गई थी।

 

बता दें कि छत्तीसगढ़ के सीएम कई बार दोहरा चुके हैं कि उनकी सरकार आबादी के अनुपात में आरक्षण देने पर विचार कर रही है। बिल लाने के साथ ही राज्य सरकार की ओर से एक प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है, जिसके तहत केंद्र से मांग की जाएगी कि वह छत्तीसगढ़ के आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करे।

 

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