.

असम के लोक कलाकार बागदोई शीखला नृत्य की प्रस्तुति, बोड़ो जनजाति कृषि आधारित विषय नृत्य है | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [धर्मेंद्र गायकवाड़] | बोड़ो जनजाति कृषि आधारित विषय पर लोक कलाकार असम के बागदोई शीखला नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं। बोड़ो जनजाति कृषि आधारित विषय पर करते हैं।

 

बाग दोई शीखला तीन शब्दों के मेल से बना है जिनमें ’’बाग’’ का अर्थ ’’वायु”, “दोइ’’ का अर्थ “जल” एवं “शिख ला” का अर्थ “युवती” होता है।

यह बोड़ो जनजाति का लोकनृत्य है, इसे पीढ़ी दर  पीढ़ी बोड़ो जनजाति द्वारा प्रस्तुत किया जाता रहा है और इससे संबंधित संस्कारों को आगे बढ़ाया जा रहा हैं।

 

यह नृत्य खास मौसम परिवर्तन पर प्रस्तुत किया जाता है। बैशाख के माह में यह नृत्य उत्सव करने प्रथा रही है।

 

असम का यह लोकनृत्य जल और वायु के देवता की अराधना और भक्ति का प्रतीक है।

 

ये भी पढ़ें :

छत्तीसगढ़ का करमा नृत्य, आदिवासी महिलायें गहरी नीली साड़ी पहने और सिर पर कलगी लगाए सामूहिक एकता का संदेश देते हुए आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

 


Back to top button