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बिलकिस बानो के 11 दोषियों की रिहाई पर पुनर्विचार नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | 2002 के गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो द्वारा 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। बिलकिस बानो ने 2002 में अपने साथ हुए गैंगरेप मामले में गुजरात भाजपा सरकार द्वारा 11 दोषियों की सजा माफ करने को चुनौती दी थी। गुजरात भाजपा सरकार ने मामले में सभी 11 दोषियों की सजा माफ कर दी थी और उन्हें 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया था।

 

Online bulletin dot in सुप्रीम कोर्ट ने ने बिलकिस बानो की वह याचिका खारिज कर दिया है, जिसमें गैंगरेप मामले के 11 दोषियों की सजा माफ करने की याचिका पर गुजरात सरकार से विचार करने के लिए कहने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया गया था।

 

प्रक्रिया के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर फैसला संबंधित निर्णय सुनाने वाले न्यायाधीश अपने कक्ष में करते हैं। कक्ष में विचार करने के लिए यह याचिका 13 दिसंबर को जस्टिस जय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच के समक्ष आई थी।

 

सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार द्वारा बिलकिस बानो की वकील शोभा गुप्ता को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि मुझे आपको यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर उक्त पुनर्विचार याचिका 13 दिसंबर 2022 को खारिज कर दी गई।

 

बिलकिस बानो ने एक दोषी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  द्वारा 13 मई को सुनाए गए आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से नौ जुलाई 1992 की नीति के तहत दोषियों की समय से पूर्व रिहाई की मांग वाली याचिका पर दो महीने के भीतर विचार करने को कहा था। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की सजा माफ करते हुए उन्हें 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।

 

गैंगरेप के वक्त 5 महीने की गर्भवती थी बिलकिस बानो

 

बिलकिस बानो से गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी और वह 5 महीने की गर्भवती थी।

 

इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की सुनवाई महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दी थी। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी सजा बरकरार रखी थी।

 

मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त 2022 को गोधरा उप-जेल से रिहा हुए थे। गुजरात भाजपा सरकार ने राज्य की सजा माफी नीति के तहत इन दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी।

 

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