.

‘लिंगभेद की वजह से केंद्र सरकार ने मुझे नहीं बनाया गया जज’, वरिष्ठ वकील का सनसनीखेज आरोप | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | दिल्ली में साहित्य आजतक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ वकील कृपाल ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि इसे कहने का कोई और तरीका है। 12 सिफारिशें थीं, 11 की नियुक्ति हो गई, सिर्फ मैं रह गया। इसके क्या कारण हो सकते हैं? कथित सभी कारण इतने दिखावटी हैं। असली कारण मेरी लैंगिक पहचान है। इसके अलावा कोई अन्य संभावित कारण नहीं है।”

 

वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल ने कहा है कि केंद्र सरकार ने लिंगभेद की वजह से ही न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की। नियुक्त होने पर, किरपाल भारत के पहले समलैंगिक न्यायाधीश बन जाएंगे।

 

उनकी टिप्पणी कॉलेजियम प्रणाली पर चल रही बहस के बीच आई है जो वरिष्ठ न्यायाधीशों के एक समूह द्वारा जज नियुक्त करने की अनुमति देती है, जिसे ‘कॉलेजियम’ कहा जाता है।

 

अधिवक्ता कृपाल ने अपनी पुस्तक ‘फिफ्टीन जजमेंट्स: केसेज दैट शेप्ड द फाइनेंशियल लैंडस्केप ऑफ इंडिया’ के विमोचन के दौरान जज के रूप में पदोन्नति में हो रही देरी पर ये बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार एक समलैंगिक को जज नहीं बनाना चाहती है?

 

इस पर उन्होंने कहा कि अगर कोई भी सरकार के फैसले को खुरच कर देखेगा तो यही बात सामने आएगी कि लिंगभेद की वजह से ऐसा किया गया है।

 

इस मुद्दे पर सरकार से संवाद नहीं किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर वो ऐसा करते और नियुक्त हो जाते तो जज के रूप में उनकी कमजोर शुरुआत होती।

 

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि जज के जो भी कैंडिडेट हैं उनकी कार्यपालिका से बातचीत नहीं होनी चाहिए। और यही वजह रही कि मैंने किसी से कोई संवाद नहीं किया।”

 

ये भी पढ़ें:

श्रद्धा के हत्या की साजिश में आफताब अमीन पूनावाला का परिवार भी था शामिल? पिता ने खोले कई राज | ऑनलाइन बुलेटिन

 


Back to top button