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दिल व दिमाग में जंग | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय- मुंबई, आईटी टीम लीडर


 

दिल की बहुत नाज़ुक है हालत

दिमाग कुछ और करने की चाहत।

ज़माने के दुत्कार से खुद को उठाया,

दिल को दिमाग में कैद कर आया।

 

एहसास को टुकड़ों में बांट दिया,

ख़ुद से ही ख़ुद को छांट दिया।

हर फैसला अब दिल नहीं करता,

बिना मतलब यूंही किसी पे नहीं मरता।

 

दिमाग को जहां भी फ़ायदा नज़र आया,

दिल का कत्ल कर वहां सौदा कर आया।

एक अजीब सा मोड़ आ गया ज़िंदगी का,

फ़ायदा ढूंढता है इंसान अब बंदगी का।

 

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