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मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से किया जवाब तलब | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली| [कोर्ट बुलेटिन] | मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगाने के लिए उचित कदम उठाये जाने के निर्देश दिए जाने की मांग कर रही याचिका पर बृहस्पतिवार को केंद्र और राज्यों से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी (Ajay Rastogi) और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार (C.T. Ravi Kumar) की पीठ ने एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित ऐसी ही याचिकाओं के साथ इसे भी नत्थी करते हुए केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किये।

 

याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने केंद्र और राज्य सरकारों को देशभर में नफरत फैलाने वाले अपराधों और भड़काऊ भाषणों की घटनाओं की स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच शुरू करने का निर्देश देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

 

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने शुरुआत में दलील दी कि इस समस्या से निपटने के लिए कुछ किये जाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण देने या ऐसे अपराधों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

 

पीठ ने कहा कि याचिका में किया गया अनुरोध बहुत अस्पष्ट है और इसमें किसी विशेष उदाहरण का उल्लेख नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि जहां किसी मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है, वहां संज्ञान लिया जा सकता है।

 

सिब्बल ने हालांकि दलील दी कि याचिका में किया गया अनुरोध अस्पष्ट नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने हाल ही में दिये गये, नफरत फैलाने वाले कुछ भाषणों का उल्लेख भी किया।

 

उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए पिछले छह महीनों में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, लेकिन ऐसी घटनाएं अब भी जारी हैं।

 

याचिका में, अब्दुल्ला ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) और अन्य कड़े प्रावधानों को लागू करने की भी मांग की है, ताकि घृणा फैलाने वाले भाषणों पर अंकुश लगाया जा सके।

 

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