.

चीन 1,000 साल तक बुद्ध व धम्म के प्रति श्रद्धा से भारतभूमि के आगे नतमस्तक रहा, लेकिन Buddh और गौरवशाली संस्कृति को भूलाकर आधुनिक भारत ने वह सम्मान खो दिया…

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


BC In 217, Buddhist monks from India went to Shaansi, the capital of China, to propagate Dhamma. In the first century, the emperor there sent his ambassadors to India after being influenced by Dhamma. Monks Kashyap Matang and Dhammaratna from India went to China with many Dhamma texts. Due to this, Dhamma officially entered China.

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन :  ई.पू. 217 में भारत से बौद्ध भिक्षु चीन की राजधानी शैंसी में धम्म प्रचार के लिए गए थे. पहली सदी में वहां के सम्राट ने धम्म से प्रभावित होकर अपने दूत भारत भेजे. भारत से भिक्षु कश्यप मातंग और धम्मरत्न कई धम्म ग्रंथों को लेकर चीन गए. इनसे अधिकारिक रूप से चीन में धम्म का प्रवेश हुआ. (Buddh)

 

भारत चीन के बीच बर्फ का विशाल हिमालय, गर्म रेगिस्तान, दूसरी ओर अनंत समुद्र था लेकिन ऐसी लंबी जानलेवा यात्राओं को पारकर भारत से विद्वान बौद्ध भिक्षु चीन में धम्म प्रचार के लिए निरंतर गए. शुरुआती मुश्किलों के बाद विदेशी बुद्ध व धम्म को वहां के सम्राटों व आम नागरिकों ने स्वीकार कर स्वदेशी धम्म के रूप में गले लगाया. (Buddh)

 

धीरे धीरे बुद्ध की मैत्री व करुणा की वाणी का इतना असर हुआ कि वहां पहले से स्थापित कई धार्मिक संप्रदायों के बावजूद बुद्ध धम्म प्रमुख व स्वदेशी धम्म बना. सम्राटों के संरक्षण से बुद्ध प्रतिमाएं, विहार, स्तूप, अशोक स्तंभ, ध्यान गुफाओं का निर्माण हुआ. (Buddh)

 

दक्षिण भारत के राजकुमार से भिक्षु बने बोधिधर्मन के द्वारा चीन में योग, जेन व ध्यान की समृद्ध परम्परा स्थापित हुई. भारत से जाने वाले भिक्षुओं का वहां बहुत आदर सम्मान होता था .ये वहां पालि व संस्कृत भाषा के बौद्ध ग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद करते थे, धम्म देशना देते थे और प्राकृतिक पद्धतियों से चिकित्सा करते थे. सम्राटों के राजगुरु भी थे.(Buddh)

 

इसी प्रकार चीन से भी भिक्षु धम्म शिक्षा, ग्रंथों के अध्ययन व बुद्ध स्थलों के दर्शन के लिए भारत निरंतर आते रहे. तक्षशिला, नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में वर्षों रहते और कई तो आजीवन बुद्ध की भूमि पर ही रहे. जब भिक्षु ह्वानसांग सोलह साल भारत में यात्रा कर वापस चीन जा रहे थे भारत की आंखों में आंसू थे. सम्राट हर्षवर्धन ने कुछ समय तक फिर रोका. दोनों देशों में अद्भुत धाम्मिक व सांस्कृतिक घनिष्ठता थी.(Buddh)

 

बुद्धभूमि की अनमोल मिट्टी व सैकड़ों ग्रंथों के साथ जब भिक्षु फाह्यान, ह्वानसांग व इत्सिंग चीन लौटे थे तो उनका देवदूतों की तरह ऐतिहासिक सम्मान हुआ था. राजधानी में छुट्टी रखकर खुशियां मनाई. उस काल की छठी सदी में चीन में बीस लाख भिक्षु और पैतीस हजार बुद्ध विहार थे. पूरा चीन भारत के प्रति श्रद्धा से दंडवत था. फिर धम्म से समृद्ध चीन के भिक्षुओं ने धम्म व ध्यान को कोरिया व जापान में फैलाया और सैकड़ों धम्म ग्रंथों को सुरक्षित रखा.(Buddh)

 

सन् 1126 के बाद कोई बौद्ध विद्वान चीन नहीं गया क्योंकि भारत में बौद्ध साहित्य व संस्कृति को नष्ट किया जा रहा था. स्थानीय शक्तियों के सहयोग से विदेशी आक्रांताओं ने सारनाथ, नालंदा आदि को तबाह किया. अफगानिस्तान व मध्य एशिया में समृद्ध बौद्ध संस्कृति को नष्ट कर दिया.(Buddh)

 

लेकिन चीन में ये आक्रांता कुछ नहीं कर सकें. वहां धम्म निरंतर फलता फूलता रहा. सन् 1950 में चीन में कम्यूनिस्ट सरकार आने के बाद वहां धम्म पर भारी संकट आ गया. फिर बाद में दोनों देशों के आपसी रिश्तों में भारी तनाव आता गया. जो वर्तमान हालात तक आ पहुंचा है.(Buddh)

 

यदि स्वतंत्र भारत चाहता तो बुद्ध व धम्म की समृद्ध संस्कृति के आधार पर पूरे एशिया के बौद्ध देशों में अपना महत्व व प्रभाव जारी रखकर देश की तरक्की में सहायक बना सकता था.(Buddh)

 

भवतु सब्बं मंगलं…सबका कल्याण हो..सभी प्राणी सुखी हो

Buddh

? सोशल मीडिया

 

फेसबुक पेज में जुड़ने के लिए क्लिक करें

https://www.facebook.com/onlinebulletindotin

 

व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें

https://chat.whatsapp.com/Cj1zs5ocireHsUffFGTSld

 

ONLINE bulletin dot in में प्रतिदिन सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाएं, परीक्षा पाठ्यक्रम, समय सारिणी, परीक्षा परिणाम, सम-सामयिक विषयों और कई अन्य के लिए onlinebulletin.in का अनुसरण करते रहें.

 

? अगर आपका कोई भाई, दोस्त या रिलेटिव ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन में प्रकाशित किए जाने वाले सरकारी भर्तियों के लिए एलिजिबल है तो उन तक onlinebulletin.in को जरूर पहुंचाएं।

 

ये खबर भी पढ़ें:

एक नंबर से अब 4 फोन में चलेगा WhatsApp, यहां जाने कैसे? इन स्टेप्स को करें फॉलो | WhatsApp Tricks


Back to top button