अन्य देशों के साथ संबंधों के निर्माण में भारतीय सिनेमा | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©डॉ. सत्यवान सौरभ
खुशी की बात है कि हमारा क्षेत्रीय सिनेमा बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों से कई दमदार फिल्में आ रही हैं। भारतीय सिनेमा हमारे देश की विशाल विविधता को दर्शाता है जो विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं का घर है। इस तरह की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाएं भी दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। इस संबंध में भारतीय सिनेमा अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दे सकता है। सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं की फिल्मों को भी अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक दर्शक मिल रहे हैं। विश्व भर मैं फैले भारतीय मूल के लोगों में खूब लोकप्रिय सिनेमा के वैश्वीकरण से इस में मदद मिल सकती है। हमें भारत को ब्रांड बनाने के लिए सामग्री तैयार करने और देश को दुनिया का सामग्री उपमहाद्वीप बनाने के लिए हमें फिल्म बिरादरी और भारत की ताकत का इस्तेमाल करते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
खुशी की बात है कि हमारा क्षेत्रीय सिनेमा बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इन क्षेत्रों से कई दमदार फिल्में आ रही हैं। भारतीय सिनेमा हमारे देश की विशाल विविधता को दर्शाता है जो विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं का घर है। इस तरह की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाएं भी दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। इस संबंध में भारतीय सिनेमा अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा दे सकता है। भारतीय सिनेमा दुनिया भर में भारतीय शास्त्रीय परंपराओं को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, हाल ही में कांटारा (एक कन्नड़ फिल्म) जो स्थानीय कन्नड़ परंपरा को दर्शाती है, विदेशों में कई देशों में रिलीज हुई थी।
भारतीय सिनेमा भारत के कई हिस्सों की सामाजिक परिस्थितियों को भी दर्शाता है जो विभिन्न राष्ट्रों के लोगों के बीच अंतर्राष्ट्रीय जागरूकता और बंधन पैदा कर सकता है। भारतीय सिनेमा का वैश्विक हिस्सा बहुत बढ़ रहा है। यह कई देशों में बढ़ती आर्थिक उपस्थिति के साथ-साथ भारी मात्रा में राजस्व उत्पन्न कर सकता है। उदाहरण के लिए, दंगल चीन में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली गैर-हॉलीवुड विदेशी फिल्म थी।कई भारतीय फिल्में विदेशों में फिल्माई जाती हैं जो विदेशी राष्ट्रों के उपकरणों और तकनीकों का भी उपयोग करती हैं जो राष्ट्रों के बीच आर्थिक संबंध बनाने में मदद कर सकती हैं। भारतीय सिनेमा पड़ोस की भाषाओं का उपशीर्षक संस्करण प्रदान करके, रेस्तरां और विदेशों में सार्वजनिक स्थानों पर इसका प्रचार करके अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा सकता है।
विश्व मानचित्र पर भारतीय सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता ही है कि आज हिंदी फिल्में दुनिया भर में एक साथ रिलीज होती हैं और इसके सितारों के चेहरे अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन और मनोरंजन क्षेत्र में पहचान पाते हैं। यहां तक कि दूर-दराज के अफ्रीकी देश भी हमारी फिल्मों और संगीत से मोहित हैं। हम नाइजीरिया जैसे देशों के बारे में जानते हैं वहां का नॉलिवुड बाजार भारतीय सिनेमा से बहुत प्रेरणा लेता है; बॉलीवुड ने लैटिन अमेरिका जैसे अज्ञात देशों में भी विस्तार किया है तथा हमारा सिनेमा दक्षिण कोरिया, जापान, चीन जैसे देशों में भी पैठ बना रहा है।
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