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रायपुर में नहीं बिक रही महंगी दुकानें: कांजी हाउस की 55 दुकानों का आठवीं, मंगलम की 9 दुकानों का 13 वीं बार टेंडर l ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर l (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) l प्रदेश की राजधानी रायपुर के मुख्य बाजारों में बनी दुकानों को खरीदने के लिए नगर निगम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। खरीददार नहीं मिलने से निगम को बार-बार टेंडर की प्रक्रिया अपनानी पड़ रही है।

 

दरअसल कठिन शर्तों और दुकानों की कीमत 25 से लेकर 50 लाख से अधिक होने की वजह से बड़े व्यापारी तक दुकान खरीदने से बच रहे है। वर्तमान में शहर के 9 मुख्य बाजारों में निगम की 104 दुकानें खाली हैं। वैसे भी 2 साल तक कोरोना संकट में आम से लेकर बड़े व्यापारियों की हालत खराब है।

 

एक से 5 साल पहले बनी है दुकाने

 

नगर निगम की दुकानों को बने एक से 5 साल तक हो गए हैं, लेकिन अभी तक इन दुकानों को खरीददार का इंतजार है। लगातार कोशिशों के बाद भी दुकानें नहीं बिकी तब एक बार फिर से इन दुकानों को बेचने के लिए निगम ने पिछले दिनों टेंडर जारी किया है। जवाहर बाजार की 147 दुकानें नवंबर 2020 में बनकर तैयार हो गई थी। इनमें से 47 पुराने दुकानदारों को दुकानें आवंटित करने के बाद भी निगम के पास दुकानें और आफिस बचे हुए हैं।

 

बाजार के दूसरे और तीसरे तल में कमर्शियल उपयोग के लिए आठ-आठ आफिस के साथ ही हर फ्लोर में दुकान उपलब्ध है। जवाहर बाजार की दुकानों की लीज और कीमत को लेकर व्यापारियों और निगम के बीच विवाद है। यही कारण है कि बाजार की 16 दुकानें बेचने के लिए निगम की ओर से सातवीं बार टेंडर जारी किया गया है। इसी तरह से कांजी हाउस की 55 दुकानों का आठवीं, मंगलम की नौ दुकानों और महोबाबाजार की 14 दुकानों के लिए 13 वीं बार टेंडर जारी करना पड़ा है।

 

कोरोना ने किया व्यापार चौपट

 

व्यापारियों का कहना है कि कोरोना संकटकाल से व्यापार चौपट है। इसके कारण सबकी हालत खराब है। दुकानें बेचने के बजाय निगम प्रशासन को पहले इस बाजार को संवारने का काम करना चाहिए, इसके बाद ही वहां की दुकानें बिक सकेंगी।

 

अग्रसेन मंगलम कांप्‍लेक्‍स की दुकानों में रुचि नहीं

 

समता कालोनी की मुख्य सड़क पर अग्रसेन चौक के पास बनाए गए अग्रसेन मंगलम कांप्लेक्स की दुकानें सालों बाद भी नहीं बिक पा रही है। कांप्लेक्स की नौ दुकानों को बेचने के लिए 13 वीं बार टेंडर जारी किया गया है। इसी तरह से सुभाष स्टेडियम की भी दुकानों को खरीदने में व्यापारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। यहां की पांच दुकानों को बेचने के लिए 10 वीं बार टेंडर जारी किया गया है।

 

कीमत महंगी, इसलिए दिक्कत

 

व्यापारियों का कहना है कि दुकानों का साइज बड़ा कर उसे महंगा कर दिया गया है। एक-एक दुकान की कीमत 25, 30 से 50-50 लाख रूपये तक होने से बिक नहीं रही है। सुभाष स्टेडियम में छोटी दुकानें ज्यादा बनाने से कीमत कम होती तो खरीदार भी मिलते।

 

 

बाजार          खाली दुकानें         टेंडर

जवाहर बाजार         16                   7 वीं बार

मोहबा बाजार          14                   13 वीं बार

सुभाष स्टेडियम       05                     10 वीं बार

अग्रसेन मंगलम       09                      13 वीं बार

कंकाली अस्पताल    01                     13 वीं बार

कांजी हाउस            55                     8 वी बार

 

 

नहीं बिकने की यह मुख्य वजह

 

  • दुकानें लीज वाली, बड़ी और महंगी, कुछ की डिमांड नहीं
  • 30 साल के पट्टे पर देना है सभी दुकानों को
  • खरीदकर मालिक बनने के बाद देना होगा किराया
  • 15 वर्ष के बाद 25 प्रतिशत बढ़ेगा किराया
  • दुकानों का क्षेत्रफल बड़ा, इसलिए कीमत ज्यादा
  • कई वर्गों के लिए है आरक्षण, फिर भी नहीं मिल रहे पात्र
  • कई जगहों पर बाजार और दुकान दोनों जर्जर
  • आसानी से किसी को दुकान बेच नहीं सकते

 

नियमों में कुछ ढील भी दी है

कोरोना संकटकाल के साथ ही लाकडाउन की वजह से बाजार की स्थिति खराब थी। इस वजह से दुकानें नहीं बिकी। अभी स्थिति सामान्य और पहले से बेहतर है। दुकानों को बेचने के नियमों में कुछ ढील भी दी है। इसलिए एक साथ दुकानें बेचने के लिए टेंडर निकाला गया है।

– एजाज ढेबर, महापौर

 

 

 

©नवागढ़ मारो से धर्मेंद्र गायकवाड़ की रपट


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